विवेक झा, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई। फेडरेशन ऑफ एम.पी. चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफएमपीसीसीआई) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से भोपाल के प्रमुख विश्वविद्यालयों और रूस के स्मोलेंस्क शहर के विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक आदान-प्रदान के विभिन्न बिंदुओं पर गहन चर्चा की गई।
इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों के बीच दीर्घकालिक सहयोग, ज्ञान साझा करना, और वैश्विक स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना रहा।
भोपाल के प्रतिनिधि संस्थानों की भागीदारी
इस मीटिंग में भोपाल के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
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आईईएस विश्वविद्यालय से चांसलर बी.एस. यादव एवं डायरेक्टर प्रो. मनीषा कावथकर
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सेज विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रार डॉ. नवीन ढ़िगरा, डॉ. शैफाली त्रिपाठी एवं डॉ. आरती उपाध्याय
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एलएनसीटी विश्वविद्यालय से डायरेक्टर डॉ. अनुपम चौकसे
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जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय से चेयरमैन अभिषेक मोहन गुप्ता
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राजमाता सिंधिया एग्रीकल्चर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, ग्वालियर से डॉ. अखिलेश सिंह
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ट्रूबा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट से डायरेक्टर श्याम राठौर
रूस की प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ की भागीदारी
स्मोलेंस्क (रूस) की कई प्रमुख यूनिवर्सिटीज़ और संस्थानों ने इस वर्चुअल मीटिंग में भाग लिया, जिनमें मुख्य रूप से शामिल थे:
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स्मोलेंस्क ब्रांच ऑफ द रशियन इकोनॉमिक यूनिवर्सिटी
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स्मोलेंस्क स्टेट यूनिवर्सिटी
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स्मोलेंस्क ब्रांच ऑफ द रिसर्च यूनिवर्सिटी (मॉस्को पॉवर इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट)
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स्मोलेंस्क ब्रांच ऑफ द फायनेंशियल एकेडमी अंडर द गवर्नमेंट ऑफ द रशियन फेडरेशन
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स्मोलेंस्क इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स (सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी की ब्रांच)
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स्मोलेंस्क स्टेट एग्रीकल्चरल एकेडमी
शैक्षणिक सहयोग के प्रमुख बिंदु
इस वर्चुअल संवाद में निम्न बिंदुओं पर आपसी सहमति बनी:
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शॉर्ट ऑनलाइन कोर्स शुरू करना
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समर स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम
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डिग्री एवं ड्यूल डिग्री प्रोग्राम्स
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प्रोफेशनल्स के बीच संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान (ज्वाइंट साइंटिफिक रिसर्च प्रोग्राम)
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हेकाथॉन एवं स्टार्टअप गतिविधियों का आदान-प्रदान
भविष्य की दिशा
एफएमपीसीसीआई की इस पहल से न केवल मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों को वैश्विक मंच मिलेगा, बल्कि छात्रों और शिक्षकों को वैश्विक परिप्रेक्ष्य, संस्कृति और अकादमिक नवाचार से जुड़ने का सुनहरा अवसर भी प्राप्त होगा।
इस वर्चुअल बैठक को एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जो भारत-रूस शिक्षा संबंधों को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। आने वाले समय में दोनों देशों के छात्र और संस्थान एक-दूसरे से जुड़े रहेंगे और शिक्षा, शोध व नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को और सशक्त बनाएंगे।