शहर में ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल, हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और निगमायुक्त को हाजिर होने को कहा

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 इंदौर
 इंदौर शहर के बदहाल ट्रैफिक को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह और निगमायुक्त शिवम वर्मा से व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा है, ताकि इस समस्या का समाधान निकल सके। कोर्ट ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से कहा है कि वे सुनवाई के दौरान न्यायमित्र के रूप में उपस्थित रहें और कोर्ट का सहयोग करें।

शहर में लगातार बढ़ रही ई-रिक्शा की संख्या को लेकर भी कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में ई-रिक्शा संचालन के लिए राज्य सरकार और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) के पास कोई नीति नहीं है। ई-रिक्शा की संख्या, मार्ग और किराए पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने ध्वस्त हो चुकी शहर की यातायात व्यवस्था को लेकर शासन और पुलिस विभाग से बिंदुवार विस्तृत जानकारी मांगी है।

कोर्ट ने यह आदेश राजलक्ष्मी फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका में दिया है। दो जुलाई को याचिका में बहस के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था जो  देर शाम जारी हुआ। याचिका में शहर की बिगड़ती यातायात व्यवस्था को लेकर कहा है कि रात के वक्त एक भी चौराहे पर यातायात सिग्नल चालू नहीं रहते। चौराहों पर लगे सिग्नल बंद कर दिए जाते हैं।

दुर्घटना रोकने को कोई इंतजाम नहीं

दुर्घटना संभावित क्षेत्र तो चिह्नित कर लिए गए, लेकिन यहां दुर्घटना रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए गए। हालत यह है कि चौराहों से सुबह और शाम को निकलना मुश्किल है। दुकान से ज्यादा सामान तो दुकानदार बाहर रखते हैं। शहर में ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे नियंत्रित करने की कोई नीति नहीं है। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।

इन बिंदुओं पर मांगी जानकारी

    शहर में प्रमुख चौराहों पर कितनी ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं और कितनी काम कर रही हैं।
    मार्ग चौड़ीकरण के माध्यम से कितने लेफ्ट टर्न बनाए गए हैं।
    मुख्य और साइड लेन सड़कों पर रोड मार्किंग की गई या नहीं।
    शहर में प्रमुख चौराहों पर यातायात पुलिसकर्मियों की तैनाती।
    दुर्घटना, ब्लैक स्पाट की पहचान के लिए क्या किया।
    पिछले पांच वर्ष के दौरान कितने स्पीड ब्रेकर, पार्किंग जोन, फुट ओवर ब्रिज बनाए।
    दुकानों के बाहर सड़क और फुटपाथ पर सामान रखने वाले दुकानदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। ज्यादातर जगह तो दुकानदार दुकान के क्षेत्रफल से ज्यादा फुटपाथ इस्तेमाल कर रहे हैं।
    सार्वजनिक स्थानों पर ठेले, गुमटियों को हटाने के लिए क्या कार्रवाई की और पिछले पांच वर्ष में कितने चालान बनाए।
    हेलमेट नहीं पहनने वाले और लाल लाइट का उल्लंघन करने वाले कितने दोपहिया वाहन चालकों के चालान बनाए।
    ऐसे दो पहिया वाहन जिन पर दो से अधिक यात्री यात्रा करते हैं वह भी बगैर हेलमेट के, उन्हें नियंत्रित करने के लिए क्या योजना है। यह भी बताएं कि पुलिस सख्ती क्यों नहीं बरतती।

बीआरटीएस में निजी वाहन नहीं चलेंगे

कोर्ट ने तीन पेज के आदेश में स्पष्ट किया है कि जब तक बीआरटीएस चालू है, तब तक इसमें केवल आईबस, एंबुलेंस और पुलिस वाहन ही चलेंगे। निजी वाहनों को बीआरटीएस का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।

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