“ट्रम्प के ‘डेड इकोनॉमी’ बयान पर केनरा बैंक अधिकारी संगठन का पलटवार — बताया भारत को सबसे जीवंत और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था”

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बेंगलुरु/ भोपाल। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकनॉमी’ कहने पर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस बयान की आलोचना करते हुए केनरा बैंक अधिकारी संगठन (CBOA) ने इसे ‘मूर्खतापूर्ण, हास्यास्पद और आधारहीन’ करार दिया है। संगठन के महासचिव के. रवि कुमार ने अपने साथियों और देशवासियों के नाम एक विस्तृत पत्र जारी कर ट्रम्प के बयान की कड़ी निंदा की और भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक पहचान को रेखांकित किया।

महासचिव रवि कुमार ने अपने पत्र में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था जीवंत है और इसकी आत्मा देश के हर बैंक कर्मचारी के कार्य में प्रतिबिंबित होती है। उन्होंने बताया कि भारत आज विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत की GDP ग्रोथ दर को अगले दो वर्षों के लिए 6.2% से 6.7% के बीच प्रोजेक्ट कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारत 4.19 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत के पास मज़बूत स्टार्टअप ईकोसिस्टम है, जहाँ 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियाँ 1 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का कारोबार कर रही हैं। फार्मा, फिनटेक और आईटी क्षेत्र में भारत की सशक्त वैश्विक उपस्थिति है।

ट्रम्प के पैमानों पर उठाए सवाल

रवि कुमार ने ट्रम्प की सोच पर भी सवाल उठाए कि वे शायद अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन स्टॉक मार्केट या अरबपतियों की संख्या से करते हैं, लेकिन भारत का पैमाना इससे अलग है। भारत में एक ग्रामीण बैंक शाखा, किसी बड़े हेज फंड से ज़्यादा मूल्यवान मानी जाती है। यहाँ आर्थिक समृद्धि का मूल्यांकन इस आधार पर होता है कि कितने वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाया गया।

उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट का हवाला देते हुए बताया कि जब वॉल स्ट्रीट के बैंक धराशायी हो गए थे, तब भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) मजबूती से खड़े रहे और देश की अर्थव्यवस्था को संभाले रखा।

PSB की भूमिका को सराहा

पत्र में उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका की भी सराहना की। “हम सिर्फ ऋण नहीं देते, बल्कि लोगों के सपनों, आत्मनिर्भरता और जीविकोपार्जन को संबल देते हैं। हम सिर्फ डिपॉजिट नहीं संभालते, बल्कि भरोसा और आत्मविश्वास गढ़ते हैं,” उन्होंने कहा।

भारत की असली तस्वीर

उन्होंने कुछ प्रेरणादायक उदाहरणों के माध्यम से यह भी बताया कि भारत की जीवंत अर्थव्यवस्था कैसे कार्य करती है —

  • जब एक वृद्ध महिला ग्रामीण बैंक शाखा में अपना पहला सेविंग्स अकाउंट खोलती है,

  • या जब एक पहाड़ी गांव का बच्चा डिजिटल लोन से खरीदे मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास अटेंड करता है।

“भारत की अर्थव्यवस्था इन कहानियों की धड़कनों में बसती है। और हम PSB स्टाफ हर दिन ऐसे बदलाव को महसूस करते हैं,” उन्होंने भावुक शब्दों में कहा।

भारत की वैश्विक भूमिका

रवि कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत किसी बदले की राजनीति में विश्वास नहीं रखता, बल्कि वैश्विक शांति, स्थायित्व और समावेशी विकास में आस्था रखता है। उन्होंने ट्रम्प को संबोधित करते हुए कहा कि अगर अमेरिका और भारत के बीच सहयोग और सम्मान की भावना होनी है, तो पहले उपहास का स्थान सम्मान को देना होगा।

आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना

पत्र का समापन करते हुए उन्होंने कहा, “हम गर्वित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारी हैं। हमें भारत की अर्थव्यवस्था को बचाने की जरूरत नहीं, हम तो उसे हर दिन अपने कार्य से मजबूत करते हैं। ट्रम्प जैसे लोग कुछ भी कहते रहें, हम अपने लक्ष्य पर अडिग हैं और हमारा देश आर्थिक प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।”

 CBOA का यह तीखा और तथ्यों से भरा जवाब सिर्फ ट्रम्प के बयान का खंडन नहीं है, बल्कि यह उस भावना और समर्पण का प्रतीक है जिससे भारत के बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी हर दिन देश की आर्थिक रीढ़ को मजबूत करने में लगे हैं। यह संदेश स्पष्ट है — भारत न केवल एक जीवंत अर्थव्यवस्था है, बल्कि आने वाले समय में वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की पूरी क्षमता रखता है।

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