विवेक झा, नई दिल्ली/भोपाल। मध्यप्रदेश की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति को एक सशक्त दिशा देने के उद्देश्य से कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII), मध्यप्रदेश द्वारा नई दिल्ली में राज्य के सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस उच्चस्तरीय बैठक का उद्देश्य था — जनप्रतिनिधियों और उद्योग जगत के बीच सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाना, जिससे राज्य के सर्वांगीण विकास को गति मिल सके।
इस संवाद सत्र का संचालन सीआईआई मध्यप्रदेश के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने किया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मध्यप्रदेश सरकार की सक्रिय नीतियाँ, प्राकृतिक संसाधनों की भरपूर उपलब्धता और उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण के चलते राज्य एक उभरते औद्योगिक केंद्र के रूप में सामने आ रहा है। उन्होंने जन और निजी क्षेत्र के बीच गहन भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए इसे राज्य की समग्र उन्नति के लिए अनिवार्य बताया।
मुख्य फोकस: राज्य के 12 से अधिक सांसदों की भागीदारी
इस सत्र में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से 12 से अधिक माननीय सांसदों ने भाग लिया और उन्होंने निवेश, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, MSME, कौशल विकास और क्षेत्रीय औद्योगीकरण जैसे विषयों पर विचार साझा किए। सांसदों ने विशेष रूप से यह सुझाव दिया कि CII को राज्य के सभी जिलों की औद्योगिक क्षमताओं और उपलब्ध कच्चे माल का विस्तृत अध्ययन करना चाहिए, ताकि स्थानीय स्तर पर उपयुक्त उद्योगों की पहचान कर Targeted निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
‘Envisioning Madhya Pradesh Economy @2047’ श्वेत पत्र प्रस्तुत
इस अवसर पर CII ने एक विस्तृत श्वेत पत्र भी जारी किया जिसका शीर्षक था — “Envisioning Madhya Pradesh Economy @2047”। इस दस्तावेज़ में यह लक्ष्य रखा गया है कि मध्यप्रदेश की वर्तमान 170 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक 2.1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए।
इस रणनीति में अवसंरचना विकास, औद्योगिक विविधीकरण, नवाचार-आधारित वृद्धि, कौशल विकास और सततता जैसे प्रमुख पहलुओं को प्राथमिकता दी गई है। यह श्वेत पत्र न केवल एक विकास की दृष्टि प्रस्तुत करता है बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि कैसे नीतिगत सहयोग और निजी निवेश इस लक्ष्य को पाने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
पर्यटन और कृषि आधारित उद्योगों पर विशेष ज़ोर
सांसदों ने इस बात पर बल दिया कि राज्य की पर्यटन क्षमताओं को बेहतर प्रचार-प्रसार, बुनियादी ढांचे के विकास और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से उन्नत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, कृषि उत्पादन आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
साझा संकल्प और सतत संवाद का वादा
सीआईआई ने सांसदों को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाएगा। श्री चतुर्वेदी ने बताया कि CII प्रदेश के प्रत्येक जिले की औद्योगिक विशिष्टताओं को समझने के लिए एक व्यापक अध्ययन शुरू करेगा और राज्य व केंद्र सरकार के साथ मिलकर अनुशंसाओं को क्रियान्वित करने की दिशा में कार्य करेगा।
सत्र का समापन साझे उद्देश्य और सहयोग की भावना के साथ हुआ। सांसदों और सीआईआई दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि राज्य के सतत विकास, रोजगार सृजन और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में भी नियमित संवाद बनाए रखा जाएगा।