नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे यौन अपराधों की बार-बार शिकायत करने वालों का डेटाबेस बनाने की मांग करने वाली याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय लें. मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही इस मांग को लेकर दिल्ली पुलिस और अन्य अधिकारियों को आवेदन दे चुका है. बेंच ने याचिका के मामले की मेरिट पर कोई टिप्पणी किए बिना याचिका को निपटा दिया.
याचिकाकर्ता की मांग पर कोर्ट ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता की यह मांग थी कि कोर्ट संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे कि वे ऐसे लोगों का डेटाबेस बनाएं जो यौन शोषण के मामलों में एक से अधिक बार शिकायत दर्ज कराते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह फैसला लेना प्रशासन और पुलिस का कार्यक्षेत्र है और ‘उन्हें बेहतर पता है कि पुलिसिंग कैसे करनी है.’
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘बगैर याचिका में उठाए गए मुद्दों की मेरिट पर कुछ कहे, याचिका को यह निर्देश देते हुए निपटाया जाता है कि संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ता की मांग पर जल्द और उचित निर्णय लें.’
याचिका में क्या मांग की गई थी?
यह पीआईएल शोनी कपूर नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल की गई थी, जिनकी ओर से वकील शशि रंजन कुमार सिंह ने पक्ष रखा. याचिका में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि प्रत्येक पुलिस जिला मुख्यालय में ऐसे शिकायतकर्ताओं का रिकॉर्ड रखा जाए जिन्होंने बलात्कार या यौन अपराधों के आरोपों से जुड़ी एक से अधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं.
साथ ही, शिकायत दर्ज कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति का पहचान पत्र (प्राथमिकता से आधार कार्ड) अनिवार्य रूप से लिया जाए. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि बलात्कार कानूनों का दुरुपयोग कुछ शिकायतकर्ताओं की ओर से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.