उपराष्ट्रपति चुनाव: वोटिंग के तुरंत बाद परिणाम, 20 साल में जीत का अंतर दोगुना, मुकाबला इस बार करीबी

उपराष्ट्रपति-चुनाव:-वोटिंग-के-तुरंत-बाद-परिणाम,-20-साल-में-जीत-का-अंतर-दोगुना,-मुकाबला-इस-बार-करीबी

नई दिल्ली

उपराष्ट्रपति के लिए आज मंगलवार को मतदान होगा। उसी दिन शाम तक नतीजे घोषित होंगे। इसके साथ ही देश को 50 दिन बाद जगदीप धनखड़ की जगह नया उपराष्ट्रपति मिलेगा। 21 जुलाई को धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने के चलते चुनाव हो रहा है।

पिछले दो दशकों में उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत का मार्जिन लगातार बढ़ा है। 2002 में भैरों सिंह शेखावत ने 149 वोट से जीत दर्ज की थी। वहीं, 2022 में धनखड़ ने विपक्ष की मार्गरेट अल्वा को 346 वोट से हराया था।

NDA ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी गठबंधन इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस सुदर्शन रेड्‌डी को उम्मीदवार बनाया है। आंकड़ों में NDA को स्पष्ट बढ़त है। हालांकि संसद में विपक्ष की मजबूती से पिछले दो दशक में पहली बार मुकाबला करीबी हो सकता है।

 भाजपा सांसदों को उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग की जानकारी दी गई । वहीं, इंडिया गठबंधन भी अपने सांसदों को मतदान प्रक्रिया समझाने के लिए मॉक पोल हुआ । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहयोगी दलों को डिनर भी दिया ।

चुनाव का शेड्यूल: सुबह 10 बजे वोटिंग, 6 बजे नतीजे मतदान 9 सितंबर, सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन में होगा। वोटों की गिनती शाम 6 बजे से और तुरंत परिणाम घोषित होंगे। हर सांसद को विशेष पेन से बैलेट पर पहली वरीयता दर्ज करनी होगी। ऐसा न करने पर वोट अमान्य होगा। हर वोट का मूल्य एक समान होगा। 2017 में 11 और 2022 में 15 वोट अमान्य हुए थे।

नियम: लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य देते हैं वोट उपराष्ट्रपति पद के लिए लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य वोट देते हैं। हालांकि इसके लिए व्हिप नहीं जारी हो सकती। सभी सांसद पार्टी लाइन पर वोट करें तो एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन के 439 और विपक्ष के रेड्डी के 324 वोट माने जा रहे हैं। हालांकि गुप्त मतदान में क्रॉस वोटिंग दोनों तरफ से समीकरण बिगाड़ सकती है। इसलिए दोनों ओर से पूरी तैयारी की जा रही है।

लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 542 है। एक सीट खाली है। एनडीए के 293 सांसद हैं। वहीं, राज्यसभा में 245 सांसद हैं। 5 सीट खाली हैं। एनडीए के पास 129 सांसद हैं। यह मानते हुए कि उपराष्ट्रपति के लिए नामांकित सदस्य भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे।

इस तरह, सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए 391 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। अगस्त 2022 में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे। वहीं विपक्षी उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे। तब 56 सांसदों ने वोट नहीं डाला था।

2000 से लगातार बढ़ा जीत का अंतर 2002: भैरों सिंह शेखावत (एनडीए) ने सुशील शिंदे (कांग्रेस) को 149 वोट से हराया। 2007: हामिद अंसारी (यूपीए) ने नजमा हेपतुल्ला (एनडीए) को 233 वोट से हराया। 2012: अंसारी दोबारा निर्वाचित हुए। एनडीए के जसवंत सिंह को 252 वोट से हराया। 2017: एनडीए के वेंकैया नायडू ने विपक्ष के गोपालकृष्ण गांधी को 272 वोट से मात दी। 2022: धनखड़ ने एनडीए प्रत्याशी के तौर पर मार्गरेट अल्वा को 346 वोट से हराया।

उपराष्ट्रपति चुनाव का ‘नंबर गेम’ समझें

उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान करते हैं. इस लिहाज से दोनों सदनों के कुल सांसदों की संख्या 781 है. इस लिहाज से जीत के लिए 392 सांसदों का समर्थन चाहिए.

लोकसभा – 542 (अध्यक्ष को छोड़कर) एनडीए: 293 विपक्ष: 234 अन्य: 15

राज्यसभा – कुल संख्या 245-6 = 239 एनडीए: 132 विपक्ष: 77 अन्य: 30

‘संख्यात्मक’ लड़ाई बनाम ‘नैतिक’ लड़ाई!

एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु से आने वाले सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है. ऐसे में शुरू से ही यह बात स्पष्ट थी कि विपक्ष दक्षिण से एक उम्मीदवार उतारेगा. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ब्लॉक ने तेलंगाना से आने वाले बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारकर चुनावी लड़ाई को संख्यात्मक से ज़्यादा प्रतीकात्मक बना दिया है.

‘इंडिया’ ब्लॉक अपने घटक दलों को एकजुट रखने के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त संख्या जुटाने की उम्मीद लगाए है, क्योंकि तेलुगु अस्मिता के ज़रिए वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियों को लुभाने की कवायद है. सुदर्शन रेड्डी ने जगन मोहन रेड्डी से मुलाकात की, लेकिन जगन ने उनका समर्थन करने में असमर्थता जताई, क्योंकि जगन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एनडीए उम्मीदवार का समर्थन देने का वादा कर चुके थे.

हालांकि, विपक्ष इस बात को समझने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उन्होंने संविधान की रक्षा और लोकतंत्र की भावना की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी की प्रशंसा की. साथ ही जगन ने अनुरोध किया कि सुदर्शन की उम्मीदवारी का समर्थन करने में उनकी असमर्थता को गलत न समझा जाए.

विपक्ष को ‘अंतरात्मा की आवाज़’ का सहारा

विपक्ष उम्मीद कर रहा है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव जितना साफ दिख रहा है, उतना है नहीं. कई सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोटिंग कर सकते हैं. बी. सुदर्शन रेड्डी कह भी चुके हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में व्हिप नहीं होता है. ऐसे में कई विपक्षी सांसद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोटिंग करेंगे.

कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने शराब घोटाले मामले के आरोपी सांसद मिथुन रेड्डी की रिहाई पर टीडीपी और वाईएसआरसी के बीच प्रतिद्वंद्विता का हवाला देते हुए कहा, ‘अब अंतरिम ज़मानत पर वह कुछ समय के लिए आज़ाद हैं. इसलिए नहीं कि न्याय हुआ, बल्कि इसलिए कि उन्हें उपराष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट देना है. असली सस्पेंस यह है कि क्या टीडीपी के लोग बीजेपी के उस उम्मीदवार को वोट देंगे जिसने उन्हें जेल भेजा? या न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी को वोट देंगे जो संविधान की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं?’

सत्ता पक्ष को ‘नंबर गेम’ से दिख रही उम्मीद

सीपी राधाकृष्णन को एनडीए के ‘नंबर गेम’ पर अपनी जीत साफ दिख रही है. एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 132 का समर्थन है. इस तरह 425 सांसदों का समर्थन साफ दिख रहा है. इससे एनडीए की जीत तय मानी जा रही है, लेकिन 2022 में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को मिले 528 वोटों की तुलना में यह कम है.

हालांकि, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व सीपी राधाकृष्णन की जीत के मार्जिन को बढ़ाने के लिए तमाम विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कवायद कर रहा है. राजनाथ सिंह ने जगन मोहन रेड्डी की पार्टी से लेकर तमाम विपक्षी दलों से बातचीत की है. इसके अलावा, बीजेपी ने अपने सभी सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें उन्हें मतदान प्रक्रिया और गुप्त मतदान की तकनीकी बारीकियों के बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए. एनडीए नेतृत्व ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी लापरवाही से विपक्ष को फायदा हो सकता है, इसलिए सांसदों को सतर्क रहना चाहिए.

बीजेडी से बीआरएस तक किसके साथ जाएंगे?

बीजेडी और बीआरएस समेत 18 सांसदों ने अभी तक यह ऐलान नहीं किया है कि वे किस उम्मीदवार को वोट देंगे? हालांकि, बीजेडी के सात सांसद, बीआरएस के चार, अकाली दल, जेडपीएम और वीओटीटीपी के एक-एक सांसद और तीन निर्दलीय सांसदों ने अभी तक अपनी पसंद का स्पष्ट संकेत नहीं दिया है. इस तरह से इन दलों पर सियासी सस्पेंस बना हुआ है, जिन्हें साधने की कवायद दोनों तरफ से हो रही है.

बीआरएस के राज्यसभा में 4 सांसद हैं, लेकिन कांग्रेस ने केसीआर से संपर्क करने के लिए कुछ खास नहीं किया है. इससे पहले इंडिया टुडे ने सुदर्शन रेड्डी से बात की थी, तो उन्होंने तेलुगु गौरव का हवाला दिया था और बीआरएस प्रमुख केसीआर का समर्थन हासिल करने के लिए उनकी प्रशंसा की थी. वे शायद मतदान से दूर रह सकते हैं या एनडीए के पक्ष में जा सकते हैं.

राज्यसभा में 7 सांसदों वाली बीजू जनता दल (बीजेडी) ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अंतिम फैसला बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक लेंगे, जो संयोग से राष्ट्रीय राजधानी में हैं. बीजेडी के एक सांसद ने कहा, ‘हमें अभी तक यह नहीं बताया गया है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को वोट देना है. हमारे नेता दिल्ली में हैं और वह जो भी फैसला लेंगे, हम उसका पालन करेंगे.’

बता दें कि पिछली बार वक्फ संशोधन विधेयक पर मतदान के दौरान बीजेडी ने कोई आदेश नहीं दिया था और सांसदों पर अपनी ‘अंतरात्मा की आवाज़’ पर वोट देने का अधिकार छोड़ दिया था. उपराष्ट्रपति चुनाव में भी क्या बीजेडी यही दांव आजमाएगी या फिर कोई आदेश जारी होगा? दोनों पक्ष क्रॉस वोटिंग की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि यह एक गुप्त मतदान है, जो उनके कथन को मजबूत करेगा.

ओवैसी से चंद्रशेखर तक सुदर्शन के साथ

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संविधान की रक्षा के आह्वान पर सुदर्शन रेड्डी का समर्थन किया है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने उनसे संपर्क किया है. आज़ाद पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने भी संविधान के मुद्दे पर एकजुटता व्यक्त की है. दोनों ही लोकसभा में अपनी पार्टी की अकेली आवाज़ हैं. इस तरह से सुदर्शन रेड्डी जैसे गैर-राजनीतिक चेहरे को आगे करके बड़ा सियासी दांव चला है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, द्रमुक, सपा, राजद, वामपंथी दलों और अन्य सहित विपक्ष ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में सक्रिय रूप से प्रचार किया है. इस साल के चुनाव का एक अनोखा पहलू यह है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं.

सबसे बड़ी जीत डॉ. केआर नारायणन की रही

    उपराष्ट्रपति पद के लिए 4 बार निर्विरोध चुनाव हुआ। 1952 और 1957 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, 1979 में मोहम्मद हिदायतुल्लाह और 1987 में शंकर दयाल शर्मा निर्विरोध चुने गए।

    1992 में डॉ. केआर नारायणन को 700 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी काका जोगिंदर सिंह (धरती पकड़) को तब सिर्फ एक वोट मिला था।
    डॉ. राधाकृष्णन और डॉ. हामिद अंसारी ही ऐसे नेता थे, जो दो बार इस पद के लिए चुने गए।

    अब तक केवल दो महिला प्रत्याशी- नजमा हेपतुल्ला और मार्गेट अल्वा रहीं। हालांकि देश को कभी महिला उपराष्ट्रपति नहीं मिल सकी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *