नई दिल्ली
भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद सख्त जवाबी कार्रवाई करते हुए मंगलवार देर रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इनमें आतंकवादी समूह लश्कर-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर भी शामिल है। भारतीय सशस्त्र बलों की कार्रवाई ‘केंद्रित, नपी-तुली रही है तथा यह ध्यान रखा गया है कि यह और न बढ़े। भारत के जवाब के बाद कारगिल युद्ध का हीरो होवित्जर फिर से मोर्चे पर जुट गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद एलओसी पर पाकिस्तान गोलीबारी कर रहा है।
बोफोर्स ने दिखाई थी ताकत
बोफोर्स तोप ने कारगिल युद्ध में अपनी ताकत साबित की। ऑपरेशन विजय में कारगिल ने पाकिस्तान को घुटने पर लाने में अहम भूमिका अदा की थी। कारगिल युद्ध में भारत की सफलता का श्रेय तोपखाने के प्रभावी उपयोग को जाता है। बोफोर्स FH-77B हॉवित्जर, एक 155 मिमी की तोप, ने अपनी उल्लेखनीय सटीकता और रेंज के कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह तोप दुश्मन के बंकरों को कमजोर करने और उनकी सप्लाई लाइनों को बाधित करने में सहायक थी। इससे यह युद्ध के सबसे बेहतरीन हथियारों में से एक बन गई।
दो लाख से अधिक दागे थे गोले, बम
कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीय तोपखाने ने 2,50,000 से अधिक गोले, बम और रॉकेट दागे। 300 तोपों, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन लगभग 5,000 गोले, मोर्टार बम और रॉकेट दागे गए, जबकि टाइगर हिल पर कब्जा करने के दिन 9,000 गोले दागे गए। हमलों की चरम अवधि के दौरान, औसतन, प्रत्येक आर्टिलरी बैटरी ने 17 दिनों तक लगातार प्रति मिनट एक राउंड से अधिक फायर किए थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में कहीं भी लंबे समय तक इतनी ज़्यादा फायरिंग नहीं देखी गई थी।