गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता और मूल्य नियंत्रण पर ग्वालियर में जागरूकता सेमिनार आयोजित

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ग्वालियर। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) की पहल और दवा मूल्य नियंत्रण के नियमों की जानकारी को आमजन और औषधि विक्रेताओं तक पहुंचाने के उद्देश्य से “स्‍कूल ऑफ फार्मेसी, विक्रांत विश्वविद्यालय, ग्वालियर” में एक दिवसीय जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया।

यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश मूल्य निगरानी और स्रोत इकाई, कार्यालय आयुक्त, खाद्य सुरक्षा एवं नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए), भोपाल के तत्वावधान में आयोजित किया गया। सेमिनार का मार्गदर्शन दिनेश कुमार मौर्य, नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, मध्य प्रदेश द्वारा किया गया।

इस अवसर पर सुश्री अनुभूति शर्मा, औषधि निरीक्षक, एफडीए ग्वालियर एवं डॉ. अतुल कौशिक, प्रोफेसर, आई.पी.एस. कॉलेज ग्वालियर को विशेषज्ञ वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में ग्वालियर जिले के औषधि विक्रेताओं, आम नागरिकों के साथ-साथ विभिन्न कॉलेजों के फार्मेसी छात्रों ने भी उत्साहपूर्वक भागीदारी की।

उपभोक्ता हितों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं पर बल

कार्यक्रम की परियोजना समन्वयक डॉ. प्रीति तागड़े ने उपस्थित जनसमूह को एनपीपीए की भूमिका, ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO), एवं दवाओं की सस्ती उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न पहलों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जन औषधि केंद्रों, मूल्य निगरानी स्रोत इकाइयों (PMRUs) और ड्रग प्राइसिंग पोर्टल्स के माध्यम से कैसे आम जनता को लाभ मिल सकता है।

फार्मेसी क्षेत्र में करियर और रिसर्च की संभावनाएं

इस दौरान डॉ. सुबोध कुमार दुबे, डीन – स्कूल ऑफ फार्मेसी, विक्रांत विश्वविद्यालय ने फार्मेसी क्षेत्र में कैरियर की नई संभावनाओं और रिसर्च के अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को उद्योगों से जुड़ाव, सरकारी योजनाओं में भागीदारी और स्टार्टअप संभावनाओं की भी जानकारी दी।

युवाओं में सकारात्मक जागरूकता

कार्यक्रम में छात्रों का उत्साह विशेष रूप से देखने लायक रहा। दवा मूल्य नियंत्रण, सरकारी नीतियों और जनस्वास्थ्य संबंधी विषयों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस प्रकार के आयोजन को अत्यंत उपयोगी बताया गया।

कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए इसे निरंतर चलने वाली शृंखला का हिस्सा बनाने की घोषणा की, ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति सजग किया जा सके और दवाओं की पहुंच सभी तक संभव हो सके।

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