विधानसभा में कांग्रेस का हंगामा: इंजेक्शन की माला, ड्रग्स के पैकेट और ट्रांसफर घोटाले पर सरकार को घेरा

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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र इन दिनों भारी हंगामे और तीखी राजनीतिक झड़पों का गवाह बनता जा रहा है। सत्र के चौथे दिन कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ विरोध का मोर्चा खोलते हुए एक के बाद एक गंभीर मुद्दों को सदन में उठाया। कांग्रेस विधायकों ने ड्रग्स सिंडिकेट, शिक्षा विभाग में तबादला घोटाला और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।

ड्रग्स के खिलाफ कांग्रेस का प्रतीकात्मक विरोध

मानसून सत्र के चौथे दिन कांग्रेस विधायकों का विरोध सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। विधायक इंजेक्शन की माला पहनकर और प्रतीकात्मक ड्रग्स की पुड़िया हाथ में लेकर विधानसभा पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “प्रदेश की 8.5 करोड़ जनता की आवाज बनकर मैं बोल रहा हूं। सदन अब महज औपचारिकता का केंद्र बन गया है। जनता की समस्याएं सुनने का सरकार के पास समय नहीं है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि एमडी ड्रग्स के फैलते जाल में भाजपा नेताओं की संलिप्तता है, और सरकार छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर बड़ी मछलियों को बचा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रग्स का कारोबार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहा है और सरकार आँख मूंदे बैठी है।

कांग्रेस के सवाल:

  • ड्रग्स माफियाओं पर ठोस कार्रवाई कब होगी?

  • BJP नेताओं से जुड़े आरोपी क्यों बख्शे जा रहे हैं?

  • युवाओं का भविष्य तबाह करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?

शिक्षा विभाग का तबादला घोटाला: पारदर्शिता पर बड़ा सवाल

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा उठाए गए एक अन्य अहम मुद्दे ने सरकार की तबादला नीति पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर गड़बड़ी का खुलासा करते हुए कहा कि विभाग द्वारा शुरू किए गए पोर्टल 3.0 पर मात्र 4,503 शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन 11,584 तबादले कर दिए गए।

इस खुलासे से यह सवाल उठा कि पारदर्शिता के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद भी प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां कैसे हुईं? स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने स्वीकार किया कि तकनीकी कारणों से यह अंतर आया, लेकिन कांग्रेस ने इसे “शिक्षा ट्रांसफर घोटाले” की संज्ञा दी।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पोर्टल निर्माण पर खर्च: ₹5.70 करोड़

  • आवेदन आए: 4,503

  • तबादले हुए: 11,584

  • स्वैच्छिक तबादले: 7,976

  • प्रशासकीय तबादले: 3,608

जयवर्धन सिंह ने सवाल उठाया कि जब ट्रांसफर के नियमों के अनुसार मात्र 10% तबादले किए जा सकते हैं, तो इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के स्थानांतरण किस आधार पर हुए?

कानून व्यवस्था और ड्रग्स पर सरकार को घेरा

कांग्रेस ने सदन में कानून व्यवस्था की बदहाली को लेकर भी सरकार को घेरा। उमंग सिंघार ने कहा कि प्रदेश में IPS और IAS अधिकारियों के साल में 5-5 बार ट्रांसफर हो रहे हैं। इससे प्रशासन में अस्थिरता है। उन्होंने स्वतंत्र गृहमंत्री की मांग करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी अब कोई गंभीरता से नहीं ले रहा।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ड्रग्स के आरोपी भाजपा नेताओं से जुड़े हैं और उनके घर नहीं बल्कि केवल छोटे अपराधियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब से ज्यादा खराब हालात अब मध्य प्रदेश के हैं।

सरकार का जवाब

सरकार की ओर से वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने सदन में जवाब दिए। मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने दावा किया कि प्रदेश में डकैतों का सफाया हो चुका है, संगठित अपराधों पर सख्त कार्रवाई की गई है और मादक पदार्थों के खिलाफ ‘नशे से दूरी है जरूरी’ अभियान चलाया जा रहा है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि ट्रांसफर नीति के तहत ही कार्य किए गए हैं और पोर्टल के तकनीकी पहलुओं को सुधारा जाएगा।

पीएम आवास, कृषि संकट और अन्य मुद्दे भी उठे

सत्र के दौरान भाजपा विधायक अशोक रोहणी ने पीएम आवास योजना की धीमी प्रगति पर चिंता जताई। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जवाब में कहा कि जमीन को लेकर कुछ कानूनी अड़चनें हैं, जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।

वहीं, जीतू पटवारी ने किसानों के मुद्दों पर बोलते हुए कहा कि आलू, प्याज और लहसुन की कीमतें बेहद गिर चुकी हैं, जिससे किसानों की कमर टूट रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसानों को न्याय नहीं मिला तो वह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आवास के बाहर अनशन करेंगे।

मध्य प्रदेश विधानसभा का यह मानसून सत्र अब तक केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस और गम्भीर आरोप-प्रत्यारोप का मंच बन गया है। ड्रग्स, ट्रांसफर घोटाला, कानून व्यवस्था और किसानों की बदहाली जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को विपक्ष के कठघरे में खड़ा होना पड़ा है। आने वाले दिनों में यह सत्र और अधिक गर्माने के आसार हैं।

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