विवेक झा, भोपाल, | मध्यप्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट ने सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वर्ष 2023–24 की इस रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि प्रदेश की 56 PSUs में से 23 कंपनियां घाटे में चल रही हैं। इतना ही नहीं, कुल ₹40.02 करोड़ की वित्तीय अनियमितताएं, गबन और चोरी के कुल 3,157 मामले भी उजागर किए गए हैं।
यह रिपोर्ट बताती है कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर बढ़ते बोझ और जवाबदेही की कमी ने सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग बढ़ाया है, जिससे विकास कार्यों की गति प्रभावित हो सकती है।
23 कंपनियों का घाटा, निवेश पर सवाल
CAG की रिपोर्ट के अनुसार, जिन 23 कंपनियों ने घाटा दिखाया है, उनमें मुख्य रूप से बिजली वितरण कंपनियां, स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़ी एजेंसियां, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड, और कुछ औद्योगिक विकास निगम शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि ये घाटा केवल परिचालन विफलता का परिणाम नहीं है, बल्कि कुप्रबंधन, लचर निगरानी तंत्र, और समय पर कार्रवाई की कमी इसके मूल में है।
इससे जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा किए गए भारी-भरकम निवेश से जनता को अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा। ये कंपनियां राज्य की विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित की गई थीं, लेकिन अब वे स्वयं वित्तीय संकट की शिकार हो गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार घाटे में चल रहे उपक्रमों/निगमों में ये हैं शामिल
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डीएमआईसी पीथमपुर जल प्रबंधन लिमिटेड
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एमपी प्लास्टिक सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, ग्वालियर
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एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड
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एमपी प्लास्टिक पार्क डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, भोपाल
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एमपी होटल कॉरपोरेशन
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एमपी एएमआरएल (सेमरिया, मोरगा, बिचरपुर, मार्की बरका) कोल कंपनियां
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एमपी पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
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एमपी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
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एमपी जल निगम
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एमपी बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉरपोरेशन
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द प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड
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एमपी वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड
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एमपी फाइनेंशियल कॉरपोरेशन
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एमपी वेंचर फाइनेंस लिमिटेड
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ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन
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सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड
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इंदौर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड
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एमपी अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड
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भोपाल और इंदौर आइडिया फैक्ट्री फाउंडेशन
गबन और धोखाधड़ी के 3,157 मामले
CAG रिपोर्ट का सबसे गंभीर पक्ष यह है कि ₹40.02 करोड़ की सार्वजनिक राशि में गड़बड़ी, गबन और चोरी के 3,157 मामलों का दस्तावेजीकरण हुआ है। यह ना सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही पर भी सीधा प्रश्नचिह्न है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से कई मामलों में लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं कुछ मामलों में प्रारंभिक जांच के बावजूद दोषियों के खिलाफ कोई सख्त दंडात्मक कदम नहीं उठाया गया। यह स्थिति सरकारी मशीनरी की कार्यक्षमता पर गहरी चिंता पैदा करती है।
कर्ज और GSDP अनुपात में वृद्धि
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य का ऋण-to-GSDP अनुपात बढ़कर 29.17% हो गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 0.85% अधिक है। हालांकि यह अब भी निर्धारित सीमा के भीतर है, लेकिन संकेत यही है कि राज्य सरकार पर कर्ज का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि राज्य की आर्थिक नीतियों को यदि समय रहते नहीं सुधारा गया, तो आने वाले वर्षों में वित्तीय स्थिरता और सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन पर खतरा मंडरा सकता है।
CAG की सिफारिशें
CAG ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अहम सिफारिशें की हैं, जिनमें शामिल हैं:
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घाटे में चल रही PSUs की नवीन समीक्षा की जाए।
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ऐसे निगमों को या तो विलय या निजीकरण के ज़रिए पुनर्गठित किया जाए।
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सभी कंपनियों में वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
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गबन के मामलों में दोषियों पर समयबद्ध कार्रवाई की जाए।
CAG की यह रिपोर्ट सिर्फ एक लेखा-जोखा नहीं, बल्कि राज्य की आर्थिक सेहत की चेतावनी है। यदि सार्वजनिक कंपनियों की यह दुर्दशा यूं ही जारी रही, तो आने वाले समय में राज्य के विकास की गति पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। यह जरूरी है कि सरकार रिपोर्ट की सिफारिशों को गंभीरता से लेते हुए पारदर्शिता, निगरानी और उत्तरदायित्व को प्राथमिकता दे। प्रदेश की जनता की मेहनत की कमाई और संसाधनों का प्रभावी उपयोग ही समावेशी विकास की कुंजी है — और CAG ने यह आइना सरकार के सामने रख दिया है।
(रिपोर्ट : CAG रिपोर्ट 2023–24, मध्यप्रदेश के आधार पर)