31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद मुक्त करेंगे: अमित शाह का बड़ा ऐलान

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नई दिल्ली 
31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। नक्सलवाद का वैचारिक पोषण किसने किया, जब तक उनको हम समझ नहीं पाते तब तक नक्सल खत्म नहीं होगा। शाह ने कहा कि कई लोग मानते हैं कि सशस्त्र गतिविधियों के समाप्त होने से नक्सली समस्या समाप्त हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। इस देश में नक्सली समस्या क्यों उत्पन्न हुई, बढ़ी और विकसित हुई? इसे वैचारिक समर्थन किसने प्रदान किया? कहा कि जब तक भारतीय समाज इस सिद्धांत, नक्सलवाद के इस विचार और समाज में वैचारिक समर्थन, कानूनी समर्थन और वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले लोगों को नहीं समझेगा, तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी।

‘2014 में 3 नक्सल हॉटस्पॉट थे’
सत्र को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई तब नॉर्थ ईस्ट कॉरिडोर, जम्मू कश्मीर और नक्सल 3 हॉटस्पॉट थे। नॉर्थ ईस्ट में 70 फीसदी की कमी आई है। नागरिकों की मृत्यु में 85 फीसदी कमी आई है। वहीं 10,500 युवाओं ने आत्मसमर्ण किया। अमित शाह ने कहा कि नक्सलवाद पर चर्चा करने के पहले 60 के दशक से अबतक जितने लोग नक्सल में मारे गए है मै उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
 
गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि हम किसी को मारना नहीं चाहते, लेकिन अगर कोई किसी निर्दोष को मरेगा तो उनको बचाना हमारा काम है। जो आत्म समर्पण करना चाहते है उनके लिए हमारी सरकार में रेड कार्पेट है। लेकिन जो हथियार उठाएगा उसको जबाव मिलेगा। अगर कोई बंदूक उठाएगा तो गोली का जवाब सरकार गोली से देगी। डाटा शेयर करते हुए बताया कि साल 2024 में नक्सल के खिलाफ अभियान में 290 नक्सली मारे गए, जो हथियार के साथ थे। इसके अलावा 1090 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं 881 नक्सलियों ने खुद का आत्मसर्पण कर दिया।

जम्मू कश्मीर पर की चर्चा
शाह ने बताया कि जम्मू कश्मीर में मोदी के नेतृत्व में धारा 370 समाप्त हो गया। वहां सुनियोजित तरीके से विकास हुआ। सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु में 65 फीसदी और नागरिकों की मृत्य में 75 फीसदी की कमी आई। पशुपति से तिरुपति तक रेड कॉरिडोर का नारा अब खत्म हो गया। देश के भूभाग में 17 फीसदी हिस्सा नक्सल प्रभावित था। जब तक वामपंथी दल सत्ता में नहीं आए तब तक नक्सलवाद पनपता रहा। जैसे ही वो सत्ता में आए नक्सल में वहां गिरावट आई। कहा कि पहले की सरकार का नक्सल पर कोई स्थाई योजना नहीं था। जो ऑपरेशन चलते थे, स्टीयरिंग नक्सल के पास होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है।

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