मप्र में 3 माह का वित्तीय समावेशन अभियान रफ़्तार पर, 12 हज़ार पंचायतों में लगे शिविर; 32 लाख खातों की री-केवाईसी होगी

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विवेक झा, भोपाल। वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस), वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार, 1 जुलाई से 30 सितंबर 2025 तक देश के ग्राम पंचायत स्तर पर चल रहा वित्तीय समावेशन संतृप्ति अभियान मध्य प्रदेश में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अभियान के तहत राज्य में 32 लाख खातों की री-केवाईसी (Re-KYC) पूरी की जानी है, ताकि सभी खाताधारकों की अद्यतन जानकारी बैंक के रिकॉर्ड में उपलब्ध रहे और वे निर्बाध बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सकें।

इसी क्रम में सोमवार को भोपाल स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ज़ोनल ऑफिस में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) और पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) भोपाल द्वारा संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें एसएलबीसी के संयोजक एवं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक धीरज गोयल, भारतीय स्टेट बैंक भोपाल मंडल के मुख्य महाप्रबंधक चंद्रशेखर शर्मा, उप महाप्रबंधक (एसएलबीसी) प्रमोद मिश्रा, पीआईबी भोपाल के निदेशक मनीष गौतम, सहायक निदेशक अजय प्रकाश उपाध्याय, सहायक निदेशक समीर वर्मा समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

अभियान के उद्देश्य और गतिविधियां

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इस अभियान का लक्ष्य है—

  • हर पात्र नागरिक को औपचारिक बैंकिंग सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना।

  • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में बैंकिंग पहुंच को मज़बूत करना।

  • पुराने और निष्क्रिय खातों की री-केवाईसी कराना।

इसके तहत आयोजित शिविरों में मुख्य रूप से ये कार्य हो रहे हैं—

  1. शून्य शेष राशि के साथ प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) खाते खोलना।

  2. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) में पंजीकरण।

  3. अटल पेंशन योजना (APY) में नामांकन।

  4. 10 वर्ष से अधिक पुराने बचत खातों और निष्क्रिय खातों की पुनः केवाईसी।

  5. डिजिटल धोखाधड़ी से बचाव और आरबीआई के अदावी जमा खातों में अंतरित धन का दावा करने की प्रक्रिया पर जागरूकता।

राज्य में प्रगति

मध्य प्रदेश की सभी 23,043 ग्राम पंचायतों में बैंकों और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स (BC) द्वारा विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं। अब तक लगभग 12,000 पंचायतों में शिविर आयोजित हो चुके हैं, जिनमें पीएमजेडीवाई, पीएमएसबीवाई, पीएमजेजेबीवाई, एपीवाई और री-केवाईसी में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज हुई है।

री-केवाईसी का महत्व

री-केवाईसी प्रक्रिया से खाताधारक की पहचान और अद्यतन विवरण की पुष्टि होती है। यह मनी लॉन्ड्रिंग रोकने, धोखाधड़ी से बचाव और भारतीय रिज़र्व बैंक के नियामकीय अनुपालन के लिए आवश्यक है। यदि समय पर री-केवाईसी नहीं कराई गई, तो खातों पर लेन-देन रोकना पड़ सकता है।

जनता से अपील

धीरज गोयल ने लोगों से अपील की कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें, अपने आस-पास के पात्र व्यक्तियों को भी जोड़ें और समय रहते अपनी री-केवाईसी पूरी कराएं।
चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि डीएफएस, आरबीआई और बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी देशभर में जाकर शिविरों में भाग ले रहे हैं और वित्तीय समावेशन योजनाओं पर जागरूकता फैला रहे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ

अभियान से न केवल बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक समय पर पहुंचेगा। इससे नॉन-ऑपरेशनल खातों को सक्रिय करने, डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने में मदद मिलेगी।

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