गावस्कर का जलवा: अपनी धुन के मालिक, प्रधानमंत्री तक की नहीं करते थे परवाह

गावस्कर-का-जलवा:-अपनी-धुन-के-मालिक,-प्रधानमंत्री-तक-की-नहीं-करते-थे-परवाह

नई दिल्ली
लिटल मास्टर सुनील गावस्कर। पहले ऐसे बल्लेबाज जिन्होंने 10000 टेस्ट रन बनाए। जो अपने दौर ही नहीं, बल्कि क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज में गिने जाते हैं। कितने क्रिकेटर आए, कितने गए, कितने आएंगे…लेकिन अपने दौर में सुनील गावस्कर का एक अलग ही रौला था। आज की पीढ़ी को शायद ही उसका अंदाजा हो। बेखौफ। अपनी धुन के पक्के और मर्जी का मालिक। ऐसा खिलाड़ी जिनके लिए सबसे पहले खेल है। उनके और खेल के बीच में कोई नहीं आ सकता था। कोई नहीं, मतलब कोई नहीं। प्रधानमंत्री तक नहीं।

उस दौर में सुनील गावस्कर का जलवा क्या था, ये बताया है पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने। उनके शब्दों में कहें तो गावस्कर अगर मर्डर तक कर देते तो बच जाते। घावरी ने विकी लालवानी के यू-ट्यूब चैनल पर लिटल मास्टर से जुड़े दिलचस्प किस्से बताए हैं।

उन्होंने बताया कि कैसे गावस्कर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिलने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह तय समय से 10 मिनट लेट थे और लिटल मास्टर पैड बांधकर बल्लेबाजी के लिए तैयार हो रहे थे। तब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में टेस्ट मैच था। पहले दिन मोरार जी देसाई को दोनों टीमों के खिलाड़ियों से मिलना था। वह 10 मिनट लेट हो गए और तब तक टॉस हो चुका था और भारत को बल्लेबाजी के लिए उतरना था।

घावरी ने बताया, ‘सुनील गावस्कर तैयार हो चुके थे। पैड बांध चुके थे। वह ड्रेसिंग रूम में अपनी बल्लेबाजी को लेकर ध्यानमग्न थे। राज सिंह डूंगरपुर भी वहां थे। सुनील को अगले कुछ मिनट में बल्लेबाजी के लिए जाना था। राज सिंह ने कहा- ‘सभी आ जाओ। प्रधानमंत्री यहां हैं। परिचय होगा। इसमें सिर्फ 2-3 मिनट लगेंगे।’ सभी बाहर चले गए लेकिन सुनील ने कहा- ‘मैं नहीं आ रहा। मुझे ध्यान केंद्रित करने दीजिए। मेरे लिए और मेरी टीम के लिए मेरी बल्लेबाजी महत्वपूर्ण है।’ उन लोगों ने उन्हें अकेले रहने दिया।’

घावरी ने आगे बताया, ‘सुनील ने चाय तक बैटिंग की और कुछ रन भी बनाए। दिन का खेल खत्म होने के बाद हमें पता ही नहीं था कि प्रधानमंत्री ड्रेसिंग रूम में आए थे, सिर्फ गावस्कर से मिलने के लिए। अपने दिनों में सुनील गावस्कर कुछ ऐसे थे, 1971 से लेकर 1987 तक, हमेशा एक चैंपियन। वह मर्डर करके भी बच सकते थे।’

घावरी ने एक और किस्सा बताया कि कैसे 1975 के वर्ल्ड कप के पहले मैच में ड्रेसिंग रूम से बार-बार गावस्कर को संदेश भेजा गया कि तेज खेलिए या फिर आउट हो जाइए। लेकिन लिटल मास्टर ने एक न सुनी। इंग्लैंड ने 60 ओवर में 334 रन बनाए थे। सुनील गावस्कर पूरे 60 ओवर खेलते रहे और 174 गेंद में सिर्फ 36 रन बनाए।

घावरी ने बताया कि कई बार गावस्कर तक संदेश भेजा गया कि या तो तेजी से खेलिए या आउट हो जाइए लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी। वह टोनी ग्रेग, ज्योफ अर्नॉल्ड, क्रिस ओल्ड और बॉब विलिस की गेंदों को खेलते रहे। गावस्कर की पारी से कोई भी खुश नहीं था। मैच के बाद उन्होंने अपने धीमे खेल की वजह ये बताई कि वह उन गेंदबाजों के खिलाफ भविष्य के टेस्ट मैचों के लिए प्रैक्टिस कर रहे थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *