विवेक झा, भोपाल। भोपाल की व्यावसायिक और वित्तीय बिरादरी शुक्रवार को द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल (CIRC) की शाखा में आयोजित जीएसटी 2.0 पर राष्ट्रीय सेमिनार में एकजुट हुई। इस सेमिनार का मुख्य आकर्षण रहा — हाल ही में जारी एमआरपी (Maximum Retail Price) संशोधन संबंधी दिशानिर्देश, जो 22 सितम्बर से लागू होंगे।
कार्यक्रम में न केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, बल्कि उद्योग विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने भी भाग लिया। सभागार खचाखच भरा रहा और सभी की निगाहें विशेषज्ञों की प्रस्तुति पर टिकी रहीं।
नया ढाँचा : कर प्रणाली हुई सरल
मुख्य वक्ताओं में से एक सीए संदीप मुखर्जी ने बताया —
“जीएसटी 2.0 को उपभोक्ता हित और व्यापारिक सरलता के लिए डिज़ाइन किया गया है। अब 12% और 28% की जटिल दरें हटाकर कर ढाँचा सीधा किया गया है। मुख्य दरें 5% और 18% होंगी, जबकि लग्ज़री और सिन वस्तुओं पर 40% कर लगेगा।”
उन्होंने इसे “सरल भारत, सरल कर” की दिशा में बड़ा कदम बताया।
एमआरपी नियम : पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर
आईआरएस कात्यायनी संजय भाटिया, उप आयुक्त, वित्त मंत्रालय ने कहा —
“नए दिशानिर्देश यह सुनिश्चित करेंगे कि जीएसटी दरों में बदलाव का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचे। अब हर निर्माता, आयातक और पैकर को अपने बिना बिके स्टॉक पर संशोधित एमआरपी अंकित करना अनिवार्य होगा।”
उन्होंने साफ किया कि अनुपालन न करने पर लीगल मेट्रोलॉजी कानून के तहत कड़ी कार्रवाई होगी।
अनुपालन की राह : कारोबारियों के लिए जरूरी कदम
विशेषज्ञों ने कारोबारियों को अनुपालन के व्यावहारिक तरीके भी बताए :
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नया एमआरपी स्टाम्प, स्टिकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग से लगाया जा सकता है।
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पैकेजिंग पर पुराना और नया एमआरपी दोनों स्पष्ट रूप से लिखना होगा।
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पुराने पैकेजिंग का उपयोग 31 दिसम्बर 2025 तक किया जा सकेगा।
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उपभोक्ताओं को नई कीमतों की जानकारी विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस से देनी होगी।
सीए नीरज अग्रवाल ने कहा —
“व्यवसायों को अपने बिलिंग सिस्टम तुरंत अपडेट करने चाहिए और स्टाफ को प्रशिक्षित करना चाहिए। यह सिर्फ कानूनी बाध्यता नहीं बल्कि उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने का अवसर है।”
उपभोक्ताओं की उम्मीदें
सेमिनार में मौजूद कुछ कारोबारी प्रतिनिधियों ने कहा कि नए नियमों से शुरुआत में थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन उपभोक्ता पारदर्शिता से लंबे समय में बाजार को फायदा मिलेगा।
भोपाल की एक स्थानीय व्यापारी संस्था के सदस्य ने बताया —
“कभी-कभी दरों में कमी के बावजूद उपभोक्ताओं को पुरानी कीमत पर सामान बेचा जाता है। अब ऐसा संभव नहीं होगा, इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा।”
व्यवसाय और उपभोक्ता दोनों के हित में
सेमिनार का समापन इस आश्वासन के साथ हुआ कि आईसीएआई भोपाल शाखा अपने सदस्यों को जीएसटी 2.0 और नए एमआरपी अनुपालन ढाँचे में सहज रूपांतरण के लिए हर स्तर पर मदद करती रहेगी।
कार्यक्रम में जिस मुद्दे पर सभी एकमत दिखे, वह था —
“समय पर अनुपालन ही सबसे सुरक्षित रास्ता है, इससे न केवल दंड से बचा जा सकेगा बल्कि उपभोक्ताओं का विश्वास और बाजार की पारदर्शिता भी मजबूत होगी।”
नए एमआरपी नियम एक नजर में
लागू होने की तारीख : 22 सितम्बर 2025
कानूनी आधार : लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011
किस पर लागू : सभी निर्माता, आयातक और पैकर्स
अनुपालन के मुख्य बिंदु :
० बिना बिके स्टॉक पर नया एमआरपी लगाना अनिवार्य
० नया एमआरपी स्टाम्प, स्टिकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग से लगाया जा सकता है
० पैकेजिंग पर पुराना और नया एमआरपी दोनों स्पष्ट होना चाहिए
० पुराने रैपर/पैकेजिंग का उपयोग 31 दिसम्बर 2025 तक या स्टॉक खत्म होने तक संभव
० उपभोक्ताओं को विज्ञापन/सार्वजनिक नोटिस से नई कीमत की जानकारी देना जरूरी
उपभोक्ता लाभ :
० पारदर्शिता सुनिश्चित होगी
० ओवरचार्जिंग पर रोक लगेगी
० कर कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा
चेतावनी :
० समय पर अनुपालन न करने पर लीगल मेट्रोलॉजी कानून के तहत दंड संभव