तमिलनाडु
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को रामनाथपुरम में सभा को संबोधित करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में था, जिसने हजारों लोगों को प्रभावित किया। तब केंद्रीय वित्त मंत्री न तो यहां आईं और न ही कोई धनराशि मुहैया कराई। लेकिन, इस बार वह तुरंत करूर पहुंच गईं। बीजेपी ने मणिपुर दंगों, गुजरात की घटनाओं या कुंभ मेला में हुई मौतों के लिए कोई जांच आयोग नहीं भेजा। अब करूर में तुरंत एक टीम भेजी जा रही है। ऐसा तमिलनाडु के लिए किसी वास्तविक चिंता के कारण नहीं, बल्कि केवल इसलिए है क्योंकि अगले साल चुनाव होने वाले हैं।’
सीएम स्टालिन ने कहा, ‘भाजपा सोचती है कि वे इससे (करूर में भगदड़ से हुई मौतों) कुछ राजनीतिक लाभ उठा सकते हैं या इसका इस्तेमाल किसी को धमकाने के लिए किया जा सकता है। बीजेपी ऐसी स्थिति में है जहां वह किसी और का खून चूसकर जीवित रहती है।’ उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्य के हितों की उपेक्षा करती है, राज्यों के अधिकार छीनती है। वो यहां तक सोचती है कि राज्यों का अस्तित्व नहीं होना चाहिए। उसे AIADMK का समर्थन प्राप्त है। विपक्ष के रूप में दृढ़ता से खड़े होने के बजाय AIADMK ने बीजेपी के साथ गुलामी का बंधन साइन कर लिया है और खुद को महज एक कठपुतली बना लिया है।
AIADMK पर सीएम ने साथा निशाना
एमके स्टालिन ने कहा, ‘जो लोग दोषी हैं और अपने गलत कामों से बचना चाहते हैं, वे भाजपा को अपने कर्मों को शुद्ध करने का साधन मानते हैं। भाजपा पलानीस्वामी का इस्तेमाल कैसे कर रही है? उन्होंने उन्हें रैली से रैली, मंच से मंच और सड़क से सड़क तक यात्रा करने का काम सौंपा है ताकि और सहयोगी उनके साथ लाए जा सकें।’ उन्होंने कहा कि जो लोग वास्तव में तमिलनाडु और तमिल लोगों की चिंता करते हैं, वे कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। क्योंकि भाजपा कुछ और नहीं, बल्कि RSS की विभाजनकारी नीतियों को देश भर में लागू करने वाला राजनीतिक अंग और शक्ति केंद्र है। आगामी चुनावों में भी यह फिर से द्रविड़ मॉडल सरकार होगी जो जीतेगी और शासन जारी रखेगी।
कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा भी उठाया
एमके स्टालिन ने कहा, ‘हमारे मछुआरों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि श्रीलंकाई नेवी ने उन पर हमला किया है। हम लगातार इसकी निंदा और विरोध करते हैं, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया। हमने तमिलनाडु विधानसभा में कच्चातिवु को वापस लेने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और उसे केंद्र सरकार को भेजा। उस प्रस्ताव का उपयोग करके केंद्र सरकार को श्रीलंकाई सरकार से अपील करना चाहिए था, लेकिन वो ऐसा करने से इनकार कर रही है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्रीलंका गए और उन्होंने भी इसका अनुरोध करने से मना कर दिया। श्रीलंका के विदेश मंत्री कहते हैं कि वे कच्चातिवु नहीं देंगे।