छिंदवाड़ा
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के सैंपल में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कोई टॉक्सिन नहीं मिला है। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई। मामले में 3 टीमें जांच में जुटी हैं।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, द सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन सहित अन्य एजेंसियों ने बच्चों की मौत की खबर के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से कफ सिरप के सैंपल कलेक्ट किए।
हालांकि जांच में पता चला कि किसी भी सेंपल में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल नहीं था। राज्य के अधिकारियों ने भी इन तीनों दूषित पदार्थों की अनुपस्थिति की पुष्टि के लिए नमूनों का परीक्षण किया।
इस बीच खुलासा हुआ है कि जो सिरप सप्लाई की गई थी, उन्हें जबलपुर से भेजा गया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर कलेक्टर ने COLDRIF SYRUP और Nastro- DS सिरप पर बैन लगा दिया है।
छिंदवाड़ा में श्री सन फार्मा कंपनी के मैनेजर की डिमांड पर महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल से इस कफ सिरप की सप्लाई होती थी। खास बात यह है कि कोल्ड्रिफ सिरप के लिए पूरे महाकौशल में से सिर्फ छिंदवाड़ा से ही डिमांड आती थी।
दूसरी ओर, मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि साल 2023 में डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर बताया था कि इस फाॅर्मूले की दवा 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद छिंदवाड़ा के डॉक्टरों द्वारा यह दवा लिखी गई।
जिन 9 मासूमों की मौत हुई है, उनमें से 7 की उम्र 4 साल या उससे कम है। जबकि 2 अन्य बच्चे भी 5 साल के ही है। इधर, अब तक एकत्रित किए गए 19 सैंपल में से 9 की रिपोर्ट आई गई है। जांच में इन सभी को ‘ओके’ कैटेगरी में रखा गया है। यानी इनमें गड़बड़ी होने की बात सामने नहीं आई है। हालांकि, अबतक कोल्ड्रिफ और नेक्सा-डीएस की रिपोर्ट नहीं आई है।
‘दो साल से कम उम्र के बच्चों को ना दे सर्दी-खांसी की दवा’
हालांकि, केंद्र ने बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को सीमित करने के लिए एक सलाह दी है। विशेष रूप से, डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए और आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी ये दवाएं सही नहीं हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
- बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को सीमित करें।
- दो साल से कम उम्र के बच्चों को ना दे सर्दी-खांसी की दवा।
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवा आम तौर पर न दें।
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- डॉक्टर सिरप देने के बजाए पहले बिना दवा के राहत के उपायों को बताएं।
- बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, सही देखभाल और भाप लगाएं और गरम पानी पिलाएं।
- बच्चों में खांसी के ज्यादातर मामले अपने आप ही ठीक होने वाली बीमारियां हैं जो बिना दवा के ठीक हो जाती हैं।
किडनी फेल होने से हुई 9 बच्चों की मौत
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 15 दिनों के अंदर किडनी फेल होने से 9 मासूमों की मौत के बाद बड़ा खतरा उभरकर सामने आया। शुरुआती जांच से पता चला कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल, एक जहरीला पदार्थ, मिला हुआ था। किडनी बायोप्सी से बच्चों के शरीर में डायथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि हुई। ज्यादातर पीड़ितों को कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप दिए गए थे।
घटना की जानकारी सामने आते ही छिंदवाड़ा के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने तुरंत पूरे जिले में इन दोनों सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी और डॉक्टरों, दवा की दुकानों और माता-पिता को एडवाइजरी जारी की है।
660 सिरप मंगवाई, 594 छिंदवाड़ा भेजी गई महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल ने सितंबर माह में चेन्नई की कंपनी श्री सन फार्मा से 660 कोल्ड्रिफ सिरप मंगवाई थी। जिसमें से 594 छिंदवाड़ा की तीन अलग-अलग मेडिकल शाॅप आयुष फार्मा, न्यू अपना फार्मा और जैन मेडिकल एवं जनरल स्टोर में सप्लाई की गई। बाकी 66 सिरप डीलर ने अपने ऑफिस में रख ली थी।
ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर (DI) शरद कुमार जैन ने शुक्रवार को नौदरा ब्रिज स्थित कटारिया फार्मास्यूटिकल ऑफिस में जांच की है। शरद कुमार जैन ने बताया कि श्री सन फार्मा कंपनी की डीलरशिप महाकौशल में सिर्फ एक ही है।
इसी कंपनी की सिरप कोल्ड्रिफ मध्यप्रदेश में कहीं भी सप्लाई नहीं होती। छिंदवाड़ा में भी यह सिरप सिर्फ 3 मेडिकल शॉप पर ही भेजा जाता था।
राजस्थान में भी हुई तीन बच्चों की मौत
इस घटना के बाद राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप बताया गया।
हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं है, जो कभी-कभी डायथिलीन या एथिलीन ग्लाइकॉल संदूषण का स्रोत हो सकता है। यह सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन-आधारित फॉर्मूला था जो बच्चों के लिए नहीं है।
राजस्थान से लिए गए सैंपल की हो रही जांच
राजस्थान से लिए गए सैंपल की जांच की जा रही है और सिरप बनाने वाली कंपनी की भी जांच की जा रही है। राज्य सरकार ने मुफ्त में बांटे जाने वाले जेनेरिक सिरप की आपूर्ति करने वाली कंपनी केसन फार्मा के सभी उत्पादों की गहन जांच के आदेश दिए हैं।
तीन टीमें कर रही हैं अलग-अलग जांच 9 बच्चों की मौत कैसे हुई? क्या कफ सिरप में ही गड़बड़ी थी? या फिर कुछ और वजह है, इसकी हकीकत जानने के लिए सेंट्रल से लेकर स्टेट और जिला स्तर की टीम अलग-अलग जांच कर रही है।
CDSCO दिल्ली की टीम कफ सिरप की मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर जांच कर रही है। एक टीम चेन्नई में तो दूसरी छिंदवाड़ा में डेरा डाले हुए है। जबकि एक टीम स्टेट ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर बनी है। जिसमें डीआई शरद कुमार जैन (जबलपुर), देवेंद्र कुमार जैन (जबलपुर), स्वप्निल सिंह (बालाघाट), वैष्णवी तलवारे और गौरव शर्मा (छिंदवाड़ा) शामिल हैं।
यह टीम 7 दिन के भीतर जांच कर अपनी रिपोर्ट भोपाल मुख्यालय में पेश करेगी। साथ ही छिंदवाड़ा सीएमएचओ के निर्देश पर बनी एक टीम यह पता लगा रही है कि सिरप को अभी तक कितने बच्चों ने उपयोग किया है।
हर माह मंगवाते थे 500 से अधिक कोल्ड्रिफ कटारिया फार्मास्यूटिकल के पास पिछले 20 सालों से श्री सन फार्मा चेन्नई की डीलरशिप है। जिसमें अलग-अलग तरह के सिरप मंगाए जाते हैं। छिंदवाड़ा में कंपनी के रिप्रेजेंटेटिव मैनेजर सतीष वर्मा है। उनके ऑर्डर पर ही कोल्ड्रिफ सिरप मंगवाकर भेजे जाते थे।
इस बार भी कफ सिरप की डिमांड आई थी। जिसमें से कुछ सिरप भेजे गए हैं। बाकी के ऑफिस में रखे हैं। छिंदवाड़ा में कंपनी का ऑफिस भी खुला है। इस वजह से वहां से अधिक मांग इस सिरप की आती है।
डीलर राजपाल कटारिया का कहना है कि आज तक कभी भी इस कंपनी के सिरप या फिर दवाएं से कभी भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। यह जांच का विषय है कि क्या वाकई में कफ सिरप पीने से ही बच्चों की हालत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई।
4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित डायरेक्टेड जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS), सेंटर ड्रग स्टैंडर्ड सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन के ड्रग कंट्रोलर ने 18 दिसंबर 2023 को सभी राज्यों को भेजे पत्र में लिखा था कि क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट आईपी 2एमजी प्लस फिनाइलेफ्राइन एचसीएल 5 एमजी ड्रॉप 4 साल से कम उम्र के बच्चों के यह सिरप नहीं दिया जा सकता है। इसे बनानी वाली फर्म को दवा के लेवल पर यह चेतावनी लिखनी होगी।