भोपाल
नवरात्रि के दौरान शहर में 5000 दुर्गा पंडाल बनाए गए थे। इन पंडालों में दुर्गा प्रतिमाओं पर नींबू चढ़ाए गए थे। अब ये नींबू बेकार नहीं जाएंगे। नगर निगम ने अनूठा कदम उठाते हुए इन नींबुओं का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया है। इन नींबूओं को इकट्ठा कर बायो एंजाइम तैयार किया जाएगा। यह तालाब और कुंडों की सफाई में इस्तेमाल होगा।
दरअसल, शहर में ‘वेस्ट टू वेल्थ’ यानी बेकार चीजों से पैसे कमाने की दिशा में भोपाल में नवाचार किया जा रहा है। इसके लिए दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमाओं को चढ़ाए गए नीबूओं को इकट्ठा किया गया है। इसमें अन्य सामग्री मिलाकर एक स्प्रे तैयार होगा।
दुर्गा पंडालों से इकट्ठा हुए 2 टन नींबू
नगर निगम के अफसरों का अनुमान है कि इस नवरात्रि में भोपाल में अलग-अलग दुर्गा जी की प्रतिमाओं से 2 टन से ज्यादा नींबू इकट्ठा हुए हैं। इन नीबूओं के उपयोग से 10 हजार लीटर स्प्रे तैयार किया जाना है। इस स्प्रे में संतरे के छिलके और सड़े गुड़ को भी मिलाया जाएगा। इसके बाद तालाब-कुंड में डाला जाएगा। इस एंजाइम से पानी साफ और स्वच्छ होगा।
गणेशोत्सव से शुरू हुआ था प्रयोग
गौरतलब है कि पिछले दिनों हुए गणेश उत्सव के दौरान भी बायो एंजाइम बनाने का प्रयोग किया गया था, जो कि सफल रहा था। हालांकि उस समय इतनी अधिक मात्रा में नींबू इकट्ठा नहीं हुए थे। लेकिन अब नवरात्रि के 9 दिनों में करीब 5 हजार पंडाल में निगम की निर्माल्य सामग्री इकट्ठा किया। इनमें से नींबू को अलग कर बायो इंजाइम बनाने की प्रक्रिया शुरू की। शुरूआती 6 दिनों में 2 टन नींबू जमा हुए, लेकिन आखिरी 3 दिन में ही नींबूओं की मात्रा 8 टन से ज्यादा हो गई।
ऐसे बनता है बायो एंजाइम
दुर्गा पंडालों में पूजन सामग्री में से नीबू को अलग इकट्ठा किया जाता है। नीबू को मशीन में डालकर रस निकाला जाता है। इसे केन के अंदर भरा जाता है। यह नींबू, संतरे के छिलकों, सड़े गुड़ और पानी को मिलाकर बनाया जाता है। 10 से 15 दिन में यह तैयार हो जाता है।
यह है फायदा
जिस जल में प्रदूषण के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। वहां पर बायो एंजाइम को मिलाया जाता है। यह पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ करता है। बायो इंजाइम एक प्राकृतिक, गैर-विषैले और पर्यावरण के अनुकूल क्लीनर का काम करता है। इसका उपयोग कपड़े धोने के साथ बर्तन और हाथ धोने के लिए भी किया जा सकता है।