भोपाल। विश्व निश्चेतना दिवस (World Anaesthesia Day) के अवसर पर महावीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, भोपाल में गुरुवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत सरकार के निर्देशानुसार आयोजित इस कार्यक्रम में निश्चेतना (एनेस्थीसिया) विभाग द्वारा “सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन)” पर एक हैंड्स-ऑन वर्कशॉप का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को आपात स्थिति में किसी मरीज की जान बचाने के लिए सीपीआर की तकनीक का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यक्रम में संस्था के सचिव सुनील जैन 501, अधिष्ठाता डॉ. संजय कुमार गुप्ता, निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कोरी, सभी विभागों के प्रमुख, फैकल्टी सदस्य, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। इसके साथ ही महावीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के इंटर्न्स, पैरा मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ सहित लगभग 250 प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेकर सीपीआर का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
सीपीआर की तकनीक सीखने के साथ शपथ भी ली
निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कोरी एवं उनकी टीम ने प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया। उन्होंने प्रतिभागियों को सीपीआर की पूरी प्रक्रिया का व्यावहारिक प्रदर्शन कराया तथा इसके वैज्ञानिक सिद्धांतों की जानकारी दी।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों ने यह शपथ ली कि वे आपात स्थिति में किसी भी व्यक्ति को सीपीआर देने में तत्पर रहेंगे और सीखी गई तकनीक को समाज के हित में उपयोग करेंगे।
जनजागरूकता के लिए ‘नुक्कड़ नाटक’ का सुझाव
संस्था के सचिव सुनील जैन 501 ने अपने संबोधन में निश्चेतना विभाग के प्रयासों की सराहना की और कहा कि सीपीआर जैसी तकनीक हर व्यक्ति को आनी चाहिए, ताकि किसी भी आकस्मिक हृदयाघात (Cardiac Arrest) की स्थिति में त्वरित उपचार किया जा सके।
उन्होंने सुझाव दिया कि शहर के प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से आम जनता में सीपीआर के प्रति जागरूकता फैलाई जाए। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल समाज में जीवन-रक्षक जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि संस्थान की सामाजिक जिम्मेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण भी बनेगी।
AED और पॉकेट मास्क की उपलब्धता पर बल
कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों और पदाधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया कि शहर के बड़े आयोजनों, सार्वजनिक स्थानों, मॉल्स और रेलवे स्टेशनों पर AED (Automated External Defibrillator) और पॉकेट मास्क जैसी आपात उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति को तत्काल सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सके।
आभार और भविष्य की दिशा
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनिल कोरी ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और सहयोगी टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि निश्चेतना विभाग भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएँ आयोजित करता रहेगा, जिससे मेडिकल छात्रों, स्टाफ और आम जनता में जीवन रक्षक प्रक्रियाओं के प्रति समझ और सजगता बढ़े।
