भोपाल मेट्रो: ट्रैफिक जाम से कनेक्टिविटी तक — राजधानी की रफ्तार को नई दिशा देने वाला प्रोजेक्ट

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विवेक झा, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अब जल्द ही मेट्रो रेल सेवा से जुड़ने जा रही है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना न सिर्फ शहर के बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करेगी, बल्कि भोपाल को आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल और व्यवस्थित परिवहन तंत्र की दिशा में अग्रसर करेगी। करीब 6941.40 करोड़ की लागत से बन रही ‘भोज मेट्रो’ का संचालन वर्ष 2027 तक शुरू होने की उम्मीद है।

राजधानी भोपाल, जो अपनी झीलों, हरियाली और ऐतिहासिक विरासत के लिए जानी जाती है, अब शहरी परिवहन के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाने जा रही है। पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या ने शहर की सड़कों पर दबाव बढ़ा दिया है। ऐसे में मेट्रो रेल प्रणाली को शहर की आवश्यकता माना जा रहा था।

तेजी से बढ़ती आबादी और ट्रैफिक की चुनौती

वर्ष 1950 में जहां भोपाल की जनसंख्या एक लाख से भी कम थी, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 25 लाख के पार पहुंच गया। इस बढ़ती आबादी के साथ निजी वाहनों की संख्या में भी अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। परिवहन विभाग द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, शहर में 15 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं, जिनमें 10 लाख से अधिक दोपहिया और लगभग तीन लाख चारपहिया वाहन शामिल हैं।

इस वाहन निर्भरता ने ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव डाला है। ऐसे में मेट्रो रेल प्रणाली को शहर की जीवनरेखा के रूप में देखा जा रहा है, जो लोगों को एक तेज़, सुरक्षित और स्वच्छ यात्रा का विकल्प देगी।

2013 से 2025 तक: भोज मेट्रो का सफर

भोपाल मेट्रो परियोजना की रूपरेखा वर्ष 2013 में तैयार की गई थी, जब रोहित एसोसिएट्स सिटीज़ एंड रेल्स प्राइवेट लिमिटेड को मास्टर प्लान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
2016 में राज्य सरकार ने फेज-1 के 27.9 किलोमीटर लंबे रूट की डीपीआर को मंजूरी दी, जबकि 2018 में केंद्र सरकार ने इसे स्वीकृति दी।

जनवरी 2019 में परियोजना का औपचारिक निर्माण कार्य आरंभ हुआ और सितंबर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका भूमिपूजन किया। परियोजना को ऐतिहासिक स्वरूप देते हुए इसे “भोज मेट्रो” नाम दिया गया, जो राजा भोज की स्मृति को समर्पित है।

दो कॉरिडोर, 28 स्टेशन: फेज-1 का ढांचा

भोज मेट्रो का फेज-1 दो प्रमुख कॉरिडोरों में विभाजित है —

  1. लाइन-2 (ऑरेंज लाइन): करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99 किलोमीटर लंबी यह लाइन 16 स्टेशनों को जोड़ेगी।

  2. लाइन-5 (ब्लू लाइन): भदभदा चौरा से रत्नागिरी तिराहा तक 12.91 किलोमीटर लंबी इस लाइन में 14 स्टेशन होंगे।

दोनों कॉरिडोर का डेपो जिन्सी स्थित सुभाष नगर क्षेत्र में बनाया जा रहा है। फिलहाल एम्स से सुभाष नगर तक का 6.225 किलोमीटर का हिस्सा निर्माणाधीन है।

निधि और वित्तीय ढांचा

भोपाल मेट्रो परियोजना की अनुमानित लागत 6941.40 करोड़ है। इस परियोजना के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों से सहायता ली जा रही है।
यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक (EIB) से 400 मिलियन यूरो का ऋण और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से ODA लोन लिया गया है।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में 882 करोड़ का बजट स्वीकृत किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 269 करोड़ अधिक है। अब तक केंद्र सरकार कुल 2239 करोड़ की राशि मंजूर कर चुकी है।

तकनीक और निर्माण: आधुनिकता की ओर कदम

मेट्रो के ट्रेन सेट फ्रांस की कंपनी अल्सटॉम इंडिया द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं। कंपनी ने मई 2022 में अनुबंध प्राप्त करने के बाद गुजरात के सावली प्लांट में 81 कोच (27 ट्रेन सेट) का निर्माण प्रारंभ किया।
सितंबर 2023 में पहली तीन कोच की ट्रेन सुभाष नगर डेपो पहुंचाई गई।

परियोजना में अत्याधुनिक CBTC सिग्नलिंग सिस्टम, 750 वोल्ट डीसी थर्ड रेल इलेक्ट्रिफिकेशन, और 80 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति की तकनीक अपनाई गई है।

निर्माण कार्य में अग्रणी भारतीय कंपनियां

भोज मेट्रो परियोजना के अलग-अलग पैकेजों पर देश की कई अग्रणी कंपनियां कार्य कर रही हैं —

  • दिलिप बिल्डकॉन लिमिटेड : AIIMS से सुभाष नगर तक 6.22 किमी का उन्नत पुल

  • केपीआईएल–गुलरमक जेवी : 3.39 किमी अंडरग्राउंड टनल और दो भूमिगत स्टेशन

  • लार्सन एंड टुब्रो (L&T) : बैलास्टलेस ट्रैक निर्माण

  • अफकॉन इंफ्रास्ट्रक्चर : ब्लू लाइन का 12.91 किमी एलिवेटेड सेक्शन

  • यूआरसी कंस्ट्रक्शन : लाइन-2 के आठ स्टेशनों और एलिवेटेड वायाडक्ट का निर्माण

  • केईसी–एसएएम जेवी : सुभाष नगर डेपो निर्माण

नवीनतम प्रगति: ट्रायल रन और सीएम निरीक्षण

मार्च 2025 में एमपीएमआरसीएल ने भोपाल मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर पहला ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा किया। यह ट्रायल रन रानी कमलापति स्टेशन से एआईआईएमएस स्टेशन के बीच किया गया।

जुलाई 2025 में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं मेट्रो का निरीक्षण किया और सुभाष नगर से एम्स तक ट्रेन में यात्रा की। उन्होंने कहा कि कमीशनर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी (CMRS) की स्वीकृति के बाद जल्द ही यह कॉरिडोर जनता के लिए खोल दिया जाएगा।

उसी महीने आरडीएसओ (Research Design and Standards Organisation) ने ऑसिलेशन और आपातकालीन ब्रेकिंग ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरे किए।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

भोज मेट्रो परियोजना न केवल परिवहन में सुधार लाएगी, बल्कि भोपाल की अर्थव्यवस्था को भी नई गति देगी।
निर्माण और संचालन चरण में हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
मेट्रो स्टेशनों के आसपास नए व्यावसायिक केंद्र और रियल एस्टेट विकास की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

इसके साथ ही, लोगों के निजी वाहनों पर निर्भरता कम होने से ईंधन की खपत में कमी और प्रदूषण में गिरावट आएगी। स्वच्छ हवा और तेज़ आवागमन भोपाल को एक अधिक जीवंत और टिकाऊ शहर के रूप में स्थापित करेंगे।

भविष्य की ओर बढ़ता भोपाल

भोपाल मेट्रो, शहर के परिवहन ढांचे को पुनर्परिभाषित करने वाली परियोजना साबित होगी। यह न सिर्फ ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या का समाधान करेगी, बल्कि राजधानी को ‘स्मार्ट सिटी’ की दिशा में मजबूत कदम भी बनेगी।

2027 तक जब भोपाल मेट्रो पूर्ण रूप से चालू होगी, तब यह प्रतिदिन 2.20 लाख यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा का अनुभव देगी।

‘भोज मेट्रो’ के रूप में यह परियोजना राजा भोज की नगरी को आधुनिक युग की रफ्तार से जोड़ने का प्रतीक बनेगी — एक ऐसा कदम जो भोपाल को “झीलों के शहर से मेट्रो सिटी” के रूप में नई पहचान देगा।

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