भोपाल जैसे उभरते शहर होंगे 124 ट्रिलियन डॉलर की वैश्विक अर्थव्यवस्था के नए इंजन

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विवेक झा, भोपाल। दुनिया की अर्थव्यवस्था अब शहरों में बसने लगी है। Visual Capitalist और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नई रिपोर्ट के अनुसार, 2026 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था 124 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगी। इस विशाल आर्थिक परिदृश्य में राष्ट्रों की सीमाएँ नहीं, बल्कि शहरों की क्षमता तय करेगी कि कौन भविष्य की अर्थव्यवस्था में अग्रणी रहेगा।
भारत के लिए यह परिवर्तन विशेष महत्व रखता है क्योंकि नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे महानगरों के साथ अब भोपाल जैसे उभरते स्मार्ट शहर भी इस नई आर्थिक दौड़ में अपनी पहचान बना रहे हैं।

भोपाल: उभरता हुआ नवाचार और प्रतिभा का केंद्र

राजधानी भोपाल पिछले एक दशक में जिस तरह शिक्षा, आईटी, नवाचार और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आगे बढ़ा है, उसने इसे मध्य भारत का ‘अर्बन ग्रोथ इंजन’ बना दिया है।
एलएनसीटी यूनिवर्सिटी, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, आयुष्मान संस्थान और IIT जैसी संस्थाएँ शहर को शिक्षा और शोध का केंद्र बना रही हैं। हाल ही में NASA International Space Apps Challenge जैसे अंतरराष्ट्रीय हैकाथॉन का भोपाल में आयोजन इस बात का प्रमाण है कि यहां का युवा वर्ग ग्लोबल इनोवेशन नेटवर्क से जुड़ रहा है।

शहरीकरण और रोजगार का नया समीकरण

भोपाल की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं ने न केवल आधारभूत संरचना को बदला है, बल्कि रोज़गार और निवेश के नए अवसर भी खोले हैं। झीलों के संरक्षण से लेकर सौर ऊर्जा आधारित स्ट्रीट लाइटिंग तक, शहर में टिकाऊ विकास (Sustainable Growth) की अवधारणा अपनाई जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भोपाल जैसे मिड-साइज शहर भारत की GDP वृद्धि में 30 प्रतिशत तक योगदान दे सकते हैं।

भारत की भूमिका: एशिया का आर्थिक इंजन

रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2026 तक 4.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह वृद्धि सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि शहरी नेटवर्क की वजह से होगी — और भोपाल इस नेटवर्क का अहम हिस्सा बनता जा रहा है।
भोपाल में आईटी पार्क, MSME सेक्टर, पर्यटन और हेल्थकेयर में निवेश ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। डिजिटल पेमेंट्स, ई-गवर्नेंस और स्टार्टअप इकोसिस्टम में भी तेजी से प्रगति हुई है।

Urban Advantage: शहरों में बसती आर्थिक ताकत

रिपोर्ट का मुख्य संदेश है — “Urban Advantage: The $124 Trillion engine lives in cities.”
यानी, आने वाले समय में शहर ही दुनिया की अर्थव्यवस्था के असली इंजन होंगे।
भोपाल की ताकत इसके संतुलित विकास में है — यहाँ शिक्षा, उद्योग, प्रशासन और हरियाली चारों मिलकर एक ऐसा शहरी मॉडल बना रहे हैं जो अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बन सकता है।

चार स्तंभ जो भोपाल को आगे ले जा रहे हैं:

  1. प्रतिभा (Talent):
    भोपाल में उच्च शिक्षा संस्थानों की बड़ी श्रृंखला और युवा आबादी इसे नवाचार की भूमि बना रही है।

  2. परिवहन (Transit):
    मेट्रो रेल परियोजना और सड़कों का आधुनिक नेटवर्क भोपाल को आर्थिक गतिविधियों से और जोड़ देगा।

  3. स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy):
    सौर ऊर्जा संयंत्र, हरित भवन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने से शहर ग्रीन इकोनॉमी की ओर अग्रसर है।

  4. सुशासन (Governance):
    स्मार्ट सिटी कंट्रोल सेंटर, ई-ऑफिस और डिजिटल सेवाओं ने नागरिक प्रशासन को पारदर्शी और कुशल बनाया है।

भोपाल: भारत के शहरी संक्रमण की मिसाल

देश के कई छोटे और मध्यम शहर जिस शहरी संक्रमण से गुजर रहे हैं, भोपाल उसकी मिसाल बन गया है।
नागरिक सेवाओं के डिजिटलीकरण से लेकर ई-वेस्ट प्रबंधन तक, यहाँ की नीतियाँ स्थानीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और नवाचार के साथ जोड़ रही हैं।
राज्य सरकार और नगर निगम मिलकर “एकीकृत शहरी विकास” की दिशा में काम कर रहे हैं, जहाँ नागरिकों की भागीदारी को भी नीति का हिस्सा बनाया गया है।

वैश्विक तुलना और स्थानीय दृष्टि

जहाँ अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे देश वैश्विक आंकड़ों में आगे हैं, वहीं भारत के लिए असली ताकत उसके शहरों में छिपी है।
भोपाल, इंदौर, जयपुर, सूरत और लखनऊ जैसे शहर भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि के नए केंद्र होंगे।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अगले पाँच वर्षों में भारत के 100 स्मार्ट सिटी मिशन प्रोजेक्ट्स अपने लक्ष्यों तक पहुँचते हैं, तो भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में निर्णायक कदम रखेगा।

 भोपाल का दशक शुरू

भोपाल का यह विकास सिर्फ स्थानीय प्रगति नहीं, बल्कि एक बड़े परिवर्तन का हिस्सा है — जिसमें शहर केंद्र में हैं और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था उनके चारों ओर घूम रही है।
124 ट्रिलियन डॉलर की यह वैश्विक अर्थव्यवस्था दिखाती है कि अब आर्थिक शक्ति देशों की सीमाओं में नहीं, बल्कि शहरों की नब्ज में बसती है।
भोपाल जैसे शहर यह साबित कर रहे हैं कि सही नीतियों, नवाचार और नागरिक सहयोग से वे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था बल्कि विश्व के आर्थिक नक्शे पर भी अपनी जगह बना सकते हैं।

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