“अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एलएनसीटी समूह में हुआ सामूहिक योगाभ्यास, युवाओं ने लिया स्वस्थ जीवन का संकल्प”

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भोपाल, 21 जून 2025
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर एलएनसीटी समूह, रायसेन रोड स्थित सभी संस्थानों—एलएनसीटी, एलएनसीटी एंड एस, एलएनसीटीई और एलएनसीपी—में भव्य एवं एकात्मता से युक्त सामूहिक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर योग को अपनी दिनचर्या में अपनाने का संकल्प लिया।

🌍 योग: भारतीय संस्कृति का वैश्विक उपहार

इस अवसर पर एलएनसीटी समूह के सचिव डॉ. अनुपम चौकसे ने कहा कि –

“माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से योग आज न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में स्वास्थ्य, शांति और संतुलन का माध्यम बन चुका है। यह भारतीय संस्कृति का एक अनमोल वरदान है, जिसे आज संपूर्ण मानव जाति अपना चुकी है।”

डॉ. चौकसे ने युवाओं और समस्त शिक्षण समुदाय से अपील की कि वे योग को केवल एक दिन की गतिविधि न समझें, बल्कि उसे नियमित जीवनशैली का अंग बनाएं, जिससे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन बना रह सके।

🧘‍♂️ सामूहिक योगाभ्यास ने जगाई चेतना

एलएनसीटी परिसर में हुए इस योग कार्यक्रम में प्राणायाम, ध्यान और विभिन्न योगासनों का अभ्यास कराया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने अत्यंत अनुशासन और मनोयोग से भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन एलएनसीटी समूह के प्रशासनिक निदेशक डॉ. अशोक कुमार राय ने किया। उन्होंने प्रतिभागियों को योग की तकनीकी बारीकियों और लाभों के बारे में विस्तार से बताया।

👨‍⚕️ वरिष्ठ प्राध्यापकों की गरिमामयी उपस्थिति

इस अवसर पर एलएनसीटी परिवार के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं शिक्षाविद भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से –
🔹 डॉ. अमितबोध उपाध्याय
🔹 डॉ. पारुल मेहता
🔹 डॉ. अरविंद सिंह
🔹 डॉ. ऊषा सिंह
🔹 डॉ. संजय वाजपेयी
🔹 डॉ. मुकेश नरूला
🔹 स्पोर्ट्स ऑफिसर पंकज जैन शामिल थे।

सभी ने योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए इसे व्यक्तित्व विकास, स्वास्थ्य संरक्षण और मानसिक शांति का प्रभावी माध्यम बताया।

एलएनसीटी समूह द्वारा आयोजित यह सामूहिक योग आयोजन केवल एक औपचारिकता न होकर, युवाओं में स्वस्थ जीवनशैली की ओर एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के ‘योग से सहयोग की ओर’ दृष्टिकोण को सशक्त करता है और यह दर्शाता है कि कैसे शिक्षण संस्थाएं भारतीय मूल्यों और परंपराओं को आधुनिक जीवन में आत्मसात करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

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