वाशिंगटन
अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन -ड्रग कार्टेल- के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सशस्त्र युद्ध का ऐलान कर दिया है। एक गोपनीय दस्तावेज़ में खुलासा हुआ है कि ट्रंप ने ड्रग तस्करों को ‘गैरकानूनी योद्धा’ बताते हुए पेंटागन को निर्देश दिए हैं कि वे इन कार्टेल्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। इस रणनीति के तहत कैरेबियन सागर में पहले ही तीन ड्रग तस्करों वाली नावों पर हमले किए जा चुके हैं, जिससे राजनीतिक और कानूनी विवाद भी छिड़ गए हैं।
वाशिंगटन से आई खबर के मुताबिक, यह घोषणा कैरेबियन सागर में अमेरिकी सेना के हाल के हमलों के बाद आई है, जहां ड्रग तस्करों के तीन नावों को निशाना बनाया गया। इनमें से दो नावें वेनेजुएला से थीं, जिन पर अमेरिकी सेना ने गोलियां चलाईं और कई लोगों की मौत हुई। ट्रंप ने इन हमलों को आत्मरक्षा का एक जरूरी कदम बताया और कहा कि यह ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए किया गया सैन्य अभियान है।
हालांकि, इस ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ ने अमेरिका के अंदर कानूनी और राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है। कई सांसदों का कहना है कि ऐसी सशस्त्र कार्रवाई के लिए पहले कांग्रेस की मंजूरी लेना जरूरी था। वहीं, पेंटागन ने सीनेट को हमलों की जानकारी दी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि कौन-कौन से कार्टेल निशाने पर हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में नाराजगी फैल गई है।
ट्रंप ने मैक्सिकन गैंग्स और वेनेजुएला के ट्रेन डे अरागुआ जैसे कार्टेल्स को आतंकी संगठन घोषित किया है और कहा है कि ये गैंग पश्चिमी गोलार्ध में ड्रग तस्करी कर अमेरिका को नष्ट करने की साजिश रच रहे हैं। राष्ट्रपति की इस नई रणनीति से स्पष्ट है कि ड्रग्स के खिलाफ अमेरिकी लड़ाई अब सिर्फ कानून या पुलिस की कार्रवाई नहीं बल्कि सैन्य और सशस्त्र संघर्ष का रूप लेने जा रही है।
ट्रंप का यह कदम ‘अमेरिका फर्स्ट’ के एजेंडे के तहत विदेशों में सैन्य हस्तक्षेप से दूरी बनाने के बावजूद अब एक नए युद्ध की शुरुआत की तरह दिखता है, जिसने देश में राजनीतिक बहस और कानूनी सवालों को जन्म दिया है। अमेरिकी प्रशासन की यह रणनीति ड्रग तस्करी के खिलाफ कड़े कदम उठाने के उद्देश्य से है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता और कानूनी वैधता अभी विवादों में है।