बलूचिस्तान में खौफनाक वारदात: चार दिन पहले अगवा, अब शव गोलियों से छलनी

बलूचिस्तान-में-खौफनाक-वारदात:-चार-दिन-पहले-अगवा,-अब-शव-गोलियों-से-छलनी

इस्लामाबाद 
पाकिस्तान के सबसे बड़े और संसाधन-समृद्ध प्रांत बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का संकट गहराता जा रहा है। इस सप्ताह चार लापता बलूच पुरुषों की गोली से छलनी लाशें बरामद होने के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। परिवारों और मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों तथा सरकारी-प्रायोजित मिलिशिया पर इन हत्याओं का आरोप लगाते हुए इसे सिस्टमैटिक हिंसा का हिस्सा बताया है। ये घटनाएं बलूचिस्तान में जारी जबरन गुमशुदगी और अतिरिक्त-न्यायिक हत्याओं की एक कड़ी हैं, जो प्रांत की स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही हैं।

स्थानीय समाचार पोर्टल द बलूचिस्तान पोस्ट के मुताबिक, तीन व्यक्तियों की पहचान कुद्दूस बलूच (पुत्र उमैद), नेक साल बलूच (पुत्र दिलवाश) और नजर अर्ज मुहम्मद (पुत्र अर्ज मुहम्मद) के रूप में हुई है। इनकी लाशें केच जिले के बुलैदा इलाके में सोराप डैम के पास मिलीं। ये तीनों पेशे से चालक थे और सीमा पार व्यापार से जुड़े हुए थे। उनके परिजनों का कहना है कि 30 सितंबर को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और तथाकथित “डेथ स्क्वॉड” नामक एक सरकारी समर्थित मिलिशिया ने उन्हें हिरासत में लिया था। अगले ही दिन, 1 अक्टूबर को, उनकी गोलियों से छलनी लाशें बरामद हुईं।

समाचार पोर्टल ने इससे पहले नजर अर्ज मुहम्मद के लापता होने की रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी। परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि उन्हें भी इसी मिलिशिया ने अगवा किया था। लगातार ऐसे मामलों में इन समूहों का नाम सामने आने से लोगों में यह भय गहराता जा रहा है कि राज्य ऐसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को या तो प्रोत्साहित कर रहा है या नजरअंदाज।

घर से उठाकर मार दिया
एक अन्य घटना में लसबेला जिले के उथल इलाके में मकरान कोस्टल हाईवे के पास लेयरी हसन होटल के समीप एक शव बरामद हुआ। मृतक की पहचान जंजैब बलूच (पुत्र रोशिन) के रूप में हुई है। वह ग्वादर जिले के पसनी क्षेत्र के बाब्बर शूर इलाके का निवासी और मजदूर था। जानकारी के अनुसार, जंजैब को 28 सितंबर को उसके घर से उठा लिया गया था।

बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगियों और उसके बाद क्षत-विक्षत शव मिलने की घटनाएं आम हो चुकी हैं। मानवाधिकार संगठनों की बार-बार की अपीलों के बावजूद सरकार अब तक किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई करने या जवाबदेही तय करने में विफल रही है। पीड़ित परिवार पारदर्शी जांच और न्याय की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अधिकारी लगातार चुप्पी साधे हुए हैं।

व्यापक संदर्भ: बलूचिस्तान में मानवाधिकार संकट
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत होने के बावजूद सबसे गरीब है। यहां तेल, कोयला, सोना, तांबा और गैस जैसे अपार संसाधन हैं, लेकिन स्थानीय बलूच आबादी को इसका कोई लाभ नहीं मिलता। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना के तहत ग्वादर बंदरगाह का विकास हो रहा है, लेकिन इससे बलूच लोगों में असंतोष बढ़ा है। वे आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियां उनके संसाधनों का दोहन कर रही हैं, जबकि स्थानीय लोगों को दबाया जा रहा है।

मानवाधिकार काउंसिल ऑफ बलूचिस्तान (एचआरसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 के पहले छह महीनों में प्रांत में 500 से अधिक जबरन गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए। जनवरी में 117, मई में 138 और जून में 84 लोग लापता हुए। इनमें से कई की लाशें बाद में ‘स्टेज्ड एनकाउंटर’ (फर्जी मुठभेड़) में मारी गईं बताकर बरामद की जाती हैं। एचआरसीबी ने इसे ‘डर्टी वॉर’ करार दिया है, जिसमें छात्र, कवि, शिक्षक और कार्यकर्ता निशाना बनाए जा रहे हैं।

पिछले साल नवंबर में भी मूसा खेल जिले में चार लापता पुरुषों को काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) द्वारा ‘स्टेज्ड एनकाउंटर’ में मारा गया था, जिसके बाद बलूच याकज्हेती कमिटी ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए थे। इस साल सितंबर में भी नौ लाशें चार दिनों में बरामद हुईं, जो सभी गुमशुदा व्यक्तियों की थीं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *