विवेक झा, भोपाल, 16 जून 2025
प्रेस्टिज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, भोपाल में आज से एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक पहल की शुरुआत हुई। “उद्यमिता और स्टार्टअप शिक्षा: सिद्धांतों से व्यावहारिक अनुप्रयोग की ओर” विषय पर छह दिवसीय अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) का शुभारंभ हुआ, जिसे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा अनुमोदित एवं प्रायोजित किया गया है।
इस एफडीपी का प्रमुख उद्देश्य देशभर के शिक्षकों, स्नातकोत्तर छात्रों एवं उद्योग जगत के विशेषज्ञों के लिए उद्यमिता और स्टार्टअप से जुड़ी समकालीन अवधारणाओं को समझना और उन्हें व्यावहारिक स्वरूप में विकसित करना है। कार्यक्रम की रूपरेखा इस प्रकार तैयार की गई है कि प्रतिभागियों को न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण मिले, बल्कि व्यावसायिक दुनिया की जमीनी हकीकत से भी परिचय हो।
प्रथम दिन के दो प्रेरक सत्र
एफडीपी के पहले दिन दो विशिष्ट और विचारोत्तेजक सत्र आयोजित किए गए।
पहले सत्र में ज्ञान भटनागर, निदेशक – एक्स्टोल विंड एंड इंडस्ट्रीज, ने “मेरी उद्यमिता की यात्रा” विषय पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किस तरह सिद्धांतों को व्यवहार में लाना एक चुनौतीपूर्ण लेकिन आवश्यक प्रक्रिया है। उनकी कहानी ने युवाओं और शिक्षकों को यह समझाने का प्रयास किया कि उद्यमिता केवल विचारों का खेल नहीं, बल्कि सतत अभ्यास, जोखिम प्रबंधन और दूरदर्शिता का समावेश है।
दूसरा सत्र भास्कर इंद्रकांति, संस्थापक – ऑरेंज आउल, द्वारा संचालित किया गया, जिसमें उन्होंने “AI की दुनिया में EI: भविष्य की कक्षा” विषय पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने समझाया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस दौर में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) की भूमिका और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है। सत्र में आधुनिक कक्षाओं और कार्यस्थलों में भावनात्मक समझ के महत्व पर बल दिया गया।
उद्घाटन अवसर पर विशेषज्ञों के विचार
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में प्रमुख अतिथि डॉ. अभा ऋषि, कार्यकारी प्रमुख, मध्य प्रदेश स्टार्टअप मिशन ने भाग लिया। उन्होंने स्टार्टअप से जुड़े नीतिगत पहलुओं, राज्य सरकार की योजनाओं और प्रोत्साहनों की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे संस्थागत सहयोग के माध्यम से युवा उद्यमियों को मार्गदर्शन और अवसर मिल सकते हैं।
संस्थान के समूह निदेशक डॉ. अनिल बाजपाई ने कहा कि यह कार्यक्रम नवाचार की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को अब केवल शिक्षा का केंद्र न रहकर नवाचार और उद्यमिता का स्तंभ बनना चाहिए।
सफल आयोजन की सूत्रधार टीम
कार्यक्रम की मुख्य समन्वयक डॉ. ऋचा जैन और सह-समन्वयक गुंजन शर्मा ने आयोजन की रूपरेखा और क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई है।
डॉ. जैन ने कहा कि “एफडीपी का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि प्रतिभागियों में उद्यमशीलता की मानसिकता का विकास करना है।”
वहीं गुंजन शर्मा ने जोर देकर कहा कि “यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अनुभव आधारित शिक्षण का बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें ‘हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग’ और केस स्टडीज़ के ज़रिए प्रतिभागियों को व्यवहारिक जानकारी दी जा रही है।”
नवाचार और आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरणा
यह एफडीपी भारत के शैक्षिक संस्थानों में स्टार्टअप कल्चर और नवाचार आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को न केवल डिजिटल युग में उद्यमिता की नई संभावनाओं से जोड़ रहा है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भारत के सपने की ओर एक कदम बढ़ाने के लिए भी प्रेरित कर रहा है।
अगले पांच दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कई और विशेषज्ञ सत्रों, प्रोजेक्ट प्रेजेंटेशन और संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जो प्रतिभागियों के ज्ञान, दृष्टिकोण और नवाचार कौशल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।