भोपाल। टैक्स ला बार एसोसिएशन द्वारा शहर में आयकर विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट कार्तिक चावला ने नई आयकर प्रणाली (न्यू टैक्स रिजीम) में भी टैक्स बचाने के उपलब्ध विकल्पों पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में टैक्स सलाहकारों और अधिवक्ताओं ने भाग लिया।
सीए कार्तिक चावला ने बताया कि आम धारणा के विपरीत, नई टैक्स रिजीम में भी अनेक प्रावधान हैं जिनका सही तरीके से उपयोग कर करदाताओं को राहत दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि सलाहकारों की भूमिका अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि उन्हें अपने क्लाइंट्स को इन नए विकल्पों के बारे में जागरूक करना होगा।
चावला ने आयकर अधिनियम की धारा 80JJAA का उल्लेख करते हुए बताया कि यदि कोई उद्योग प्रोविडेंट फंड में पंजीकृत है और वह किसी वित्तीय वर्ष में नए कर्मचारियों की नियुक्ति करता है, तो उसे उनके वेतन पर 30% तक कर छूट मिल सकती है। यह छूट तीन वर्षों तक ली जा सकती है, बशर्ते कुछ आवश्यक शर्तों का पालन किया जाए। यह प्रावधान विशेष रूप से श्रम-प्रधान क्षेत्रों और नए उद्योगों के लिए लाभकारी है।
इसी क्रम में उन्होंने धारा 80IAC का भी उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत पात्र स्टार्टअप्स को तीन वर्षों तक 100% आयकर छूट मिल सकती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि स्टार्टअप का वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से कम हो और वह एलएलपी या कंपनी अधिनियम के तहत विधिवत पंजीकृत हो।
इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि यदि कोई निर्माता वर्ष के दौरान नई मशीनरी की खरीद करता है, तो उसे सामान्य डेप्रिसिएशन के अलावा 20% अतिरिक्त डेप्रिसिएशन का लाभ भी मिल सकता है। यह प्रावधान विनिर्माण क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रखा गया है।
कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों ने यह भी जानकारी दी कि शादी के समय रिश्तेदारों या दोस्तों से प्राप्त उपहार किसी भी सीमा तक करमुक्त होते हैं, बशर्ते वे पारिवारिक या सामाजिक संबंधों की सीमा में आएं। यह जानकारी आम नागरिकों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो शादी जैसे अवसरों पर उपहार स्वरूप बड़ी राशि या संपत्ति प्राप्त करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल आर्य ने की। इस अवसर पर सचिव मनोज पारख, सहसचिव संदीप चौहान, वरिष्ठ सदस्य संजय श्रीवास्तव, गोविंद वसंता, हेमंत जैन सहित कई अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद थे।
कार्यशाला का उद्देश्य नए टैक्स ढांचे में संभावनाओं और जटिलताओं की जानकारी देना था, ताकि पेशेवर सलाहकार अपने क्लाइंट्स को कानूनी दायरे में रहते हुए अधिकतम कर लाभ दिला सकें। अंत में सभी सदस्यों ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बताया और भविष्य में भी ऐसे आयोजन नियमित रूप से किए जाने की मांग रखी।