ग्लोबल डेमोग्राफी में बदलाव: अब सिर्फ 120 देश ईसाई बहुल, हिंदू बहुल केवल दो

ग्लोबल-डेमोग्राफी-में-बदलाव:-अब-सिर्फ-120-देश-ईसाई-बहुल,-हिंदू-बहुल-केवल-दो

नई दिल्ली

भारत में कई नेता अकसर बदलती हुई आबादी का मसला उठाते रहे हैं। हाल ही में तमिलनाडु के गवर्नर और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी यह मसला उठाया था। हिमंत बिस्वा सरमा का तो कहना है कि 2041 तक असम में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। इसके अलावा राज्यपाल एन. रवि ने भी असम, पश्चिम बंगाल, यूपी और बिहार के कुछ सीमांत इलाकों को लेकर चिंता जाहिर की। लेकिन दुनिया भर में ऐसी चर्चाएं और चिंताएं अकसर जाहिर की जाती रही है। अब प्यू रिसर्च के एक सर्वे में आया है कि 2010 से 2020 की अवधि में दुनिया में ईसाई बहुल देशों की संख्या में कमी आई है।

ईसाई बहुल देशों की संख्या दुनिया में 2010 में 124 थी, जो 2020 में घटकर 120 पर आ गई है। इसकी वजह यह है कि कई देशों में ईसाई आबादी का अनुपात कम हुआ है। जनसंख्या वृद्धि दर में कमी और अपने धर्म को छोड़कर नास्तिक बनना या किसी और मजहब को स्वीकार करना इसकी अहम वजह है। जिन देशों में ईसाई आबादी अब बहुसंख्यक नहीं रही है, वहां कमी का कारण यह है कि बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म को छोड़ दिया। ये लोग खुद को अब किसी भी धर्म से नहीं जोड़ते हैं। ये खुद को नास्तिक, अज्ञेयवादी अथवा अनीश्वरवादी मानते हैं। कुल मिलाकर ईसाई देशों की संख्या में 10 सालों के अंतराल में ही बड़ी कमी आ गई और 4 देश नक्शे से घट गए।

कुल 5 फीसदी देश दुनिया के ऐसे हैं, जहां बहुसंख्यक आबादी किसी भी धर्म को ना मानने वालों की है। अब बात करते हैं कि आखिर वे कौन से देश हैं, जहां की अब बहुसंख्यक आबादी ईसाई नहीं रही। इन देशों में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे जैसे बड़े देश हैं। अब यूके में ईसाई आबादी 49 फीसदी ही बची है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में 47 फीसदी, फ्रांस में 46 और उरुग्वे में 44 फीसदी ही ईसाई जनसंख्या बची है। उरुग्वे में किसी भी धर्म को ना मानने वालों की संख्या 52 फीसदी हो गई है। एक और तथ्य यह है कि नीदरलैंड में भी बहुमत (54 फीसदी) अब किसी मजहब को न मानने वालों का है। इसके अलावा न्यूजीलैंड में यह नंबर 51 पर्सेंट है।

हिंदुओं का दुनिया में क्या हाल, बहुमत वाले सिर्फ 2 देश

दुनिया के 201 मान्यता प्राप्त देशों में अब 120 ही ईसाई बहुल बचे हैं। इसके अलावा सिर्फ दो देश ही हिंदू बहुल हैं। इन देशों में एक भारत है और दूसरा नेपाल। दिलचस्प फैक्ट है कि 95 फीसदी हिंदू आबादी अकेले भारत में ही बसती है। इसके अलावा बाकी 5 फीसदी जनसंख्या पूरी दुनिया में बिखरी हुई है। यही नहीं दुनिया की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 15 फीसदी है। कुल मिलाकर दुनिया के 60 फीसदी देश अब भी ईसाई बहुल है। हालांकि आने वाले दशकों में इस स्थिति में और बदलाव हो सकता है। कुछ और देश ईसाई बहुल होने का तमगा खो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *