बांके बिहारी मंदिर: दर्शन समय बढ़ाने पर गोस्वामी समाज का विरोध, कहा- दबाव में लिए गए फैसले

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मथुरा 
श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन स्थित विश्वप्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर एक बार फिर विवादों में है। दर्शन समय बढ़ाने को लेकर जहां प्रशासनिक स्तर पर निर्णय लिया गया, वहीं मंदिर से जुड़े गोस्वामी समाज के कुछ सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया है। मामला उस समय और गहराया जब गोस्वामी समाज के एक प्रमुख सेवायत ने आरोप लगाया कि उन पर मानसिक दबाव बनाकर जबरन सहमति ली गई।

हाई पावर कमेटी ने लिया निर्णय, आज से नई समय सारणी लागू
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में दर्शन व्यवस्था को सुचारु बनाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी की अब तक पांच बैठकें हो चुकी हैं। चौथी बैठक में यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि दर्शन का समय बढ़ाया जाए, जिससे श्रद्धालुओं को अधिक समय मिल सके और भीड़ का प्रबंधन बेहतर हो सके। पांचवीं बैठक, जो लक्ष्मण शहीद स्मारक भवन, वृंदावन में आयोजित की गई, उसमें दर्शन समय में परिवर्तन को अंतिम रूप दिया गया। 30 सितंबर से नई व्यवस्था लागू हो गई, जिसके अनुसार अब मंदिर में दर्शन का समय पहले से अधिक होगा।

विवाद की वजह: दबाव में सहमति?
हालांकि, इस निर्णय को लेकर अब असहमति की आवाजें उठने लगी हैं। सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि उन पर मानसिक दबाव डालकर सहमति ली गई। उनका कहना है कि वे शुरुआत से ही दर्शन समय में परिवर्तन के खिलाफ थे और विरोध दर्ज कराने के लिए लिखित पत्र भी लाए थे, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।  एक चैनल से बातचीत में शैलेंद्र गोस्वामी ने आरोप लगाया कि कमेटी अध्यक्ष और पूर्व न्यायमूर्ति हाई पावर कमेटी को मनमानी तरीके से चला रहे हैं और सेवायतों की भावनाओं की अनदेखी की जा रही है।

सेवायतों की भूमिका और मतभेद
मंदिर प्रबंधन में राजभोग और शयन भोग सेवायतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पैनल में शामिल चार सेवायतों में से शैलेंद्र गोस्वामी ने कहा कि वे कभी भी समय परिवर्तन के पक्ष में नहीं थे और बैठक में दबाव के चलते उनसे सहमति हस्ताक्षर कराए गए।

क्या है आगे की राह?
मामला अब केवल धार्मिक नहीं, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक विवाद का रूप लेता जा रहा है। गोस्वामी समाज के विरोध को लेकर अटकलें हैं कि सुप्रीम कोर्ट में फिर से कोई नई याचिका दाखिल की जा सकती है। फिलहाल, नए समय अनुसार दर्शन व्यवस्था जारी है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय शायद न्यायालय ही लेगा।

 

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