बैतूल
मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से बच्च्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। छिंदवाड़ा जिले में 11 बच्चों की मौत के बाद अब बैतूल जिले के आमला ब्लॉक में दो मासूम बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से हड़कंप मच गया। प्रारंभिक जांच में इन बच्चों की मौत का कारण भी किडनी फेल होना बताया जा रहा है। दोनों बच्चों का इलाज छिंदवाड़ा जिले के परासिया में ही डॉ. प्रवीण सोनी के पास हुआ था। परासिया में अन्य 11 बच्चों की मौत के मामले में डॉ. सोनी को गिरफ्तार किया जा चुका है।
बैतूल जिले में पहला मामला निहाल (2 वर्ष) पुत्र निखिलेश धुर्वे, निवासी जामुन बिछुआ का है। तबीयत बिगड़ने पर बच्चे को बैतूल और फिर एम्स भोपाल रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दूसरा मामला कबीर (3 वर्ष 11 माह) पुत्र कैलाश यादव, निवासी राम नगर ढाना कलमेश्वरा का है। उसने भी इसी डॉक्टर से इलाज कराया था और 8 सितंबर को उसकी मौत हो गई।
दोनों बच्चों के इलाज का समय अलग-अलग था, पर डॉक्टर एक ही निकला। परिजनों ने शक जताया है कि कफ सिरप के सेवन के बाद बच्चों की हालत बिगड़ी थी। फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि दवा प्रतिबंधित थी या नहीं। दोनों मामलों में पोस्टमॉर्टम नहीं होने के कारण वास्तविक कारण की पुष्टि जांच रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगी।
सीएमएचओ डॉ. मनोज हुरमाड़े ने बताया कि आमला विकासखंड के जामुन बिछुआ और कमलेश्वरा गांव में दो बच्चों की मृत्यु हुई है। दोनों का इलाज परासिया के डॉ. प्रवीण सोनी से कराया गया था। मामले की जांच की जा रही है, और परिजनों से चर्चा के बाद इलाज से जुड़े दस्तावेज एकत्रित किए जाएंगे। अभी यह साफ नहीं है कि दोनों बच्चों को कफ सिरप दिया गया था या नहीं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप साहू ने बताया कि निहाल को गंभीर किडनी फेल्योर की समस्या थी और उसे भोपाल रेफर किया गया था।
मृतक निहाल के पिता निखिलेश धुर्वे ने कहा कि परासिया के डॉक्टर ने जो दवा दी थी, उसे देने के बाद बच्चे की हालत बिगड़ी और वह नहीं बच पाया। उन्होंने कहा कि अब वे चाहते हैं कि प्रशासन सच्चाई सामने लाए। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने संयुक्त जांच टीम गठित कर दी है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं, इलाज के तरीके और सिरप की जांच की जा रही है।