हमारी रसोई में नवग्रह-
आधुनिकता के कारण हम अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं हमारी दादी जी प्रति पूर्णिमा अमावस्या किसी विशेष दिन जैसे जन्मदिन विवाह के वर्षगांठ पर विद्वान ब्राह्मण को अपने घर बुलाकर पूजा करवाती एवं ब्राह्मण देवता को दक्षिणा के साथ एक थाली या सुपडे में सीधा (कच्ची ) सामग्री भेंट करती जिससे नवग्रह की कृपा परिवार पर बनी रहे।
सूर्य-गेहूँ ,गुड़
चन्द्र-चावल, दूध
मंगल-मिर्च मसाले
बुध-मूंग की दाल,हरी तरकारी
गुरु-चने की दाल,मिठाई, दक्षिणा
शुक्र-आटा, घी,वस्त्र
शनि-नमक,तेल इत्यादि
राहु-केतु की सामग्री का दान ब्राह्मण को नहीं होता है।