विवेक झा, भोपाल, 31 मई 2025
राजधानी भोपाल में आज एक ऐतिहासिक और वैचारिक महोत्सव का शुभारंभ हुआ — Bhopal International Festival & Colloquium 2025, जो Bhopal International Centre (B.I.C) और Madhya Pradesh Arts Communication and Entertainment (M.P.A.C.E) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य न केवल भोपाल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं का उत्सव मनाना है, बल्कि “Vision – Mission Bhopal 2047” के माध्यम से आने वाले भविष्य की नीतिगत दिशा पर सार्थक संवाद स्थापित करना भी है।
उद्घाटन समारोह: विचार, परंपरा और भविष्य का संगम
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे B.I.C के फाउंडिंग, लाइफटाइम मेंबर्स और पैट्रन्स द्वारा दीप प्रज्वलन एवं उद्घाटन भाषण के साथ हुई। इस सत्र में B.I.C के फाउंडिंग मेंबर एवं कोलोकीअम अध्यक्ष शशिधर कपूर ने अपने उद्घाटन संबोधन में संस्था के मूल दर्शन को स्पष्ट करते हुए कहा:
“B.I.C केवल एक संस्था नहीं, बल्कि धर्म-दर्शन, विज्ञान और आध्यात्मिकता का समन्वय है, जो संवाद, सहअस्तित्व और विचार विमर्श को बढ़ावा देती है। यह मंच भोपाल की गंगा-जमुनी तहज़ीब का आधुनिक रूप है, जहाँ ज्ञान और संस्कृति का सहज मिलन होता है।”
इसके पश्चात “A Report Card of B.I.C till date” सत्र में अब तक की यात्रा, परियोजनाओं और सामाजिक पहलों की प्रस्तुति दी गई, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, शैक्षणिक संगोष्ठियाँ, महिला-शक्ति मंच और सामुदायिक जुड़ाव की दिशा में की गई पहलों का विवरण दिया गया।
“Queens & Begums” सत्र में गूंजी महिला नेतृत्व की गाथाएं
महोत्सव का प्रमुख आकर्षण रहा दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे तक आयोजित पैनल सत्र “Queens & Begums: Women of Bhopal – Past, Present & Future”, जो भोपाल की ऐतिहासिक महिला शासकों, वर्तमान सामाजिक भागीदारी और भविष्य में महिलाओं की नीति-निर्धारण भूमिका पर केंद्रित रहा।
इस सत्र की अध्यक्षता की प्रीति त्रिपाठी ने, जो B.I.C की सह-संस्थापक एवं महोत्सव निदेशक हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा:
“भोपाल की त्रिवेणी संस्कृति – हिंदू, मुस्लिम और जनजातीय समाज – महिला नेतृत्व की अद्भुत मिसाल रही है। हमारे मंच ‘मध्यप्रदेशिनी’ के माध्यम से हमने प्रदेश की अनसुनी महिला कहानियों को राष्ट्रीय पटल पर लाने का प्रयास किया है।”
पैनल में शामिल प्रमुख वक्ताओं और उनके विचार
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शर्बानी बनर्जी (लेखिका व शिक्षाविद्):
उन्होंने खुशीयां बेगम का ज़िक्र करते हुए उन्हें भारत की पहली महिला बताया जिन्होंने हज यात्रा की। सिकंदर जहां बेगम और सुल्तान जहां बेगम द्वारा समाज में किए गए सुधारों को उन्होंने भोपाल के विकास की नींव बताया। -
रक्शान जाहिद (मानवाधिकार विशेषज्ञ):
उन्होंने बताया कि भोपाल एक दुर्लभ शहर है जहाँ महिलाओं ने राज किया, निर्णय लिए और संस्थाएं स्थापित कीं। ‘प्रिंस ऑफ वेल्स क्लब’ और ‘परी बाजार’ जैसे प्रयासों से महिलाओं को स्वतंत्र मंच मिला। -
मीता वाधवा (मीडिया विशेषज्ञ):
उन्होंने जनजातीय समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को रेखांकित किया और यह बताया कि धर्म और परंपरा में नारी तत्व को कैसे देखा गया। उन्होंने महिलाओं को ‘ना’ कहना सिखाने की आवश्यकता बताई। -
हीना वर्श्नेय राउत (शिक्षाविद्):
उन्होंने स्कूली स्तर पर लड़कियों को आत्मरक्षा, डिजिटल स्किल और लैंगिक समानता की शिक्षा देने की जरूरत पर बल दिया। -
पूर्वा राय (युवा सामाजिक कार्यकर्ता):
उन्होंने महिलाओं के निर्णयात्मक अधिकारों और पारिवारिक बंधनों की आलोचना करते हुए कहा कि महिलाओं को अपने जीवन के बारे में खुद निर्णय लेने का पूरा हक है। -
लता जी (साक्षरता कार्यकर्ता):
उन्होंने शिक्षा और साक्षरता के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए आत्मनिर्भरता के लिए व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया।
मुख्य संदेश:
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भोपाल की महिला नेतृत्व परंपरा का सम्मान।
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शिक्षा, स्वास्थ्य और निर्णय क्षमता में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार।
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परिवार और समाज में लैंगिक समानता।
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भोपाल 2047 के निर्माण में महिलाओं को नीति-निर्धारक के रूप में शामिल करने की आवश्यकता।
अन्य प्रमुख कार्यक्रम: कला, साहित्य और विमर्श का संगम
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1:30 – 2:00 बजे: SAM Global University के छात्रों द्वारा पॉप म्यूज़िक और डांस की प्रस्तुति, साथ ही थिएटर, फिल्म और मीडिया पर संवाद।
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2:30 – 4:00 बजे: सामाजिक मुद्दों पर डॉक्युमेंट्रीज़ की स्क्रीनिंग — Public Service Broadcasting Trust, New Delhi द्वारा।
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4:00 – 5:00 बजे: डॉ. सुरेन्द्र सोनी का ऑनलाइन व्याख्यान — “धम्म और धर्म में फर्क” विषय पर, जहाँ उन्होंने सामाजिक शांति और मूल्यों पर विचार रखे।
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5:00 – 6:30 बजे: साहित्यिक गोलमेज सत्र, जिसमें डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण और समकालीन समाज पर विचार प्रस्तुत किए। कविताओं और लेखों की प्रस्तुति ने माहौल को संवेदनशील और विचारोत्तेजक बनाया।
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6:30 बजे: हाई-टी और नेटवर्किंग सेशन, जहाँ विभिन्न क्षेत्र के प्रतिनिधियों के बीच संवाद स्थापित हुआ।
समापन टिप्पणी
Bhopal International Festival & Colloquium 2025 ने पहले ही दिन से यह स्पष्ट कर दिया कि यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन है — जो भविष्य के भोपाल की रूपरेखा को समावेश, महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पहचान और नीति संवाद के माध्यम से गढ़ने का प्रयास कर रहा है। “Queens & Begums” जैसे सत्र नारी नेतृत्व की विरासत को नई पीढ़ी से जोड़ने का सार्थक प्रयास हैं, जो निश्चित ही आने वाले समय में भोपाल को 2047 तक एक समावेशी, न्यायपूर्ण और जागरूक शहर बनाने में योगदान देंगे।