विवेेक झा, भोपाल, 2 जून 2025।
देश के बैंकिंग क्षेत्र में ट्रेड यूनियन आंदोलन को सशक्त करने वाले, कॉरपोरेट भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले, बैंक कर्मचारियों को पेंशन योजना दिलवाने वाले और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन (AIBEA) के पूर्व महासचिव कामरेड तारकेश्वर चक्रवर्ती के जन्म का 100वां वर्ष राजधानी भोपाल समेत पूरे देश में इंकलाबी जोश और संगठनात्मक श्रद्धा के साथ मनाया गया।
राजधानी भोपाल में मध्य प्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के तत्वावधान में शाम 6 बजे मालवीय नगर स्थित संगठन कार्यालय में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह आयोजन न सिर्फ श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि ट्रेड यूनियन आंदोलन के मूल्यों को दोहराने और भावी दिशा तय करने का भी प्रेरणास्रोत साबित हुआ।
“कामरेड तारकेश्वर अमर रहें!” के नारों से गूंज उठा आयोजन स्थल
कार्यक्रम की शुरुआत कामरेड चक्रवर्ती के चित्र पर माल्यार्पण और लाल झंडे के साथ सलामी से हुई। उपस्थित बैंककर्मियों ने “कामरेड तारकेश्वर अमर रहें”, “लाल सलाम” जैसे गगनभेदी नारों से आयोजन स्थल को क्रांतिकारी ऊर्जा से भर दिया।
इस मौके पर संगठन के पदाधिकारी व बैंककर्मी साथी — वी.के. शर्मा, नजीर कुरैशी, जे.पी. झवर, अशोक पंचोली, विशाल धमेजा, राजीव उपाध्याय, सुनील देसाई, किशन खेराजानी, सत्येन्द्र चौरसिया, जी.डी. पाराशर, वैभव गुप्ता, सनी शर्मा सहित कई वक्ताओं ने उनके जीवन संघर्षों और आदर्शों पर प्रकाश डाला।
“करियर छोड़ आंदोलन चुना – और रचा इतिहास”
वक्ताओं ने कहा कि कामरेड चक्रवर्ती बैंकिंग क्षेत्र के उन विरले व्यक्तित्वों में से थे जिन्होंने निजी करियर की ऊंचाई छोड़कर श्रमिक हितों की रक्षा को जीवन समर्पित किया। वे चाहते तो बैंक में उच्च पदों तक पहुंच सकते थे, पर उन्होंने 57 वर्षों तक ट्रेड यूनियन आंदोलन का नेतृत्व करना चुना।
उन्होंने केवल AIBEA को ही सशक्त नहीं किया, बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर बैंकिंग कर्मचारियों और अधिकारियों के नौ संगठनों को एक मंच ‘United Forum of Bank Unions (UFBU)’ पर लाकर साझा संघर्षों की नई परंपरा शुरू की।
“पेंशन और डिफॉल्टरों की लिस्ट उनकी ऐतिहासिक देन”
कार्यक्रम में वक्ताओं ने उल्लेख किया कि—
-
कामरेड चक्रवर्ती ने ही बैंक कर्मियों के लिए पेंशन योजना लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
-
उन्होंने कॉरपोरेट डिफॉल्टरों की सूची प्रकाशित कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की लूट का पर्दाफाश किया।
-
वे समझते थे कि संघर्ष और सामूहिक एकता ही कर्मचारियों को न्याय दिला सकती है।
उनका कहना था –
“संघर्ष कोई विकल्प नहीं, बल्कि समाधान की राह है। यदि हम संगठित हैं, तो कोई भी सरकार या प्रबंधन हमारी मांगों को नजरअंदाज नहीं कर सकता।”
“बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाता”
कार्यक्रम में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि कामरेड चक्रवर्ती का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है। उनकी प्रेरणा से आज भी संगठनात्मक प्रतिबद्धता और कर्मचारी एकता की भावना बनी हुई है।
मध्य प्रदेश बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव वी.के. शर्मा ने कहा
“आज जब हम चक्रवर्ती जी की जन्मशती मना रहे हैं, तो यह केवल स्मरण नहीं बल्कि एक नए संकल्प का क्षण है। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा और ग्राहकों की सेवा में तत्पर रहना है।”
कर्मचारियों ने लिया संकल्प
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी बैंक कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से शपथ ली कि—
-
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और द्विपक्षीय समझौता प्रणाली की रक्षा की जाएगी,
-
ग्राहकों को बेहतर, त्वरित एवं सम्मानजनक सेवा प्रदान की जाएगी,
-
ट्रेड यूनियनों की एकता को और अधिक मजबूत किया जाएगा,
-
भ्रष्टाचार और शोषण के विरुद्ध निरंतर संघर्ष किया जाएगा।
मिष्ठान वितरण और भावभीनी विदाई
समारोह के उपरांत पास के इलाकों में मिष्ठान वितरण कर कार्यक्रम को जन सहभागिता का स्वरूप दिया गया।
प्रमुख रूप से रहे उपस्थित
इस आयोजन में अनेक बैंक संगठनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए, जिनमें अमित प्रजापति, बी.एल. पुष्पद, इमरत लाल रायकवार, लीला कुशवाहा, कमलेश बरमैया, जीत सिंह नागर, ओ.पी. बाथम, वी.के. कोठारी, पी.के. श्रीवास्तव, कैलाश पतकी आदि प्रमुख रहे।
निष्कर्ष:
कामरेड तारकेश्वर चक्रवर्ती की जन्मशती सिर्फ एक स्मृति आयोजन नहीं थी, बल्कि यह बैंकिंग ट्रेड यूनियन आंदोलन की जड़ों को सींचने और भविष्य के लिए संकल्प का क्षण था। उनके विचार, नेतृत्व और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।