भोपाल।
भोपाल डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन की वार्षिक साधारण सभा का आयोजन 7 जून को शहर में हर्षोल्लास और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। इस बैठक की अध्यक्षता संस्था के वरिष्ठ अध्यक्ष सुनील जैन ‘501’ ने की। सभा में एसोसिएशन की कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित रहे, साथ ही करीब 86 वितरक सदस्यों ने भाग लेकर संस्था के प्रति अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई।
व्यापार, प्रशासन और कंपनियों से जुड़े विषयों पर हुई चर्चा
सभा में सुनील जैन ने नगर निगम, यातायात विभाग, पुलिस प्रशासन और एफएमसीजी कंपनियों से जुड़ी समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को आज दोतरफा संकट का सामना करना पड़ रहा है — एक ओर कंपनियों की भेदभावपूर्ण नीतियां हैं और दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन से सहयोग की आवश्यकता।
उन्होंने बताया कि ई-कॉमर्स और मॉडर्न ट्रेड से जुड़े मामलों में कंपनियों द्वारा एक वितरक क्षेत्र में दूसरे वितरक के अधिकार क्षेत्र में माल भेजना गंभीर समस्या बन गया है। इस विषय में जीएसटी काउंसिल में औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई जाएगी।
संस्था में लागू किए गए नए नियम
सभा में संस्था के नए नियमों की जानकारी सदस्यों को दी गई, जिनमें प्रमुख हैं:
- चेक बाउंस होने पर पेनल्टी का प्रावधान
- दो बार से अधिक चेक बाउंस होने पर संबंधित व्यापारी से चेक न लेना
- किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर के स्टाफ द्वारा चोरी या गबन की स्थिति में उस व्यक्ति को अन्य किसी सदस्य के यहां रोजगार न देने का सामूहिक निर्णय
इन नियमों को पारदर्शिता और भरोसे की संस्कृति बनाए रखने के उद्देश्य से लागू किया गया है।
कंपनियों की मनमानी पर कार्रवाई की तैयारी
सभा में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि यदि कोई एफएमसीजी कंपनी या उसका डीलर किसी अन्य वितरक के क्षेत्र में माल सप्लाई करता है, तो इसकी शिकायत जीएसटी काउंसिल में दर्ज की जाएगी। इस क्षेत्रीय अतिक्रमण (इनफिल्ट्रेशन) को लेकर डीलर्स लगातार नुकसान झेल रहे हैं और यह कदम उनकी सुरक्षा के लिए अहम माना जा रहा है।
बैंकों का रवैया बना व्यापारियों की परेशानी
सभा में उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश मेहता ने एचडीएफसी और एक्सिस बैंक की शाखाओं पर सवाल उठाते हुए बताया कि ये बैंक 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोट स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जिससे छोटे और मझोले व्यापारियों को रोजमर्रा के लेनदेन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “छोटे नोटों को अस्वीकार करना बैंकिंग नियमों और ग्राहक सेवा के विरुद्ध है। यह स्थिति व्यापार संचालन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर रही है।” एसोसिएशन ने मांग की कि संबंधित बैंक नीति में तुरंत सुधार करें। हालांकि उन्होंने कहा कि पब्लिक सेक्टर के बैंक उन्हें सपोर्ट करते हैं।
मुख्य मांगे – भोपाल डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन
- कंपनियों द्वारा भेदभावपूर्ण मूल्य निर्धारण बंद हो, ई-कॉमर्स और पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए समान मूल्य नीति हो।
- पारंपरिक वितरकों को न्यूनतम मार्जिन की गारंटी मिले
- डिजिटल पोर्टल्स के मुकाबले समान अवसर दिए जाएं
- डिस्ट्रीब्यूटरों को सरकारी सब्सिडी और लोन सुविधा मिले
- टेक्नोलॉजी और जीएसटी संबंधी प्रशिक्षण की व्यवस्था हो
- GST और टैक्स नियमों को सरल बनाया जाए।
- कंपनियों के अनुचित व्यवहार पर सरकारी नियंत्रण हो
- वितरकों को डिजिटली सशक्त किया जाए और उनके लिए अलग स्कीम्स व ट्रेनिंग चलाई जाएं।
कंपनियों की नीतियों से नाराज हैं डिस्ट्रीब्यूटर
एसोसिएशन का आरोप है कि बड़ी कंपनियां अपने उत्पाद ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और बी2बी पोर्टल्स जैसे जिओमार्ट, उड़ान आदि पर भारी छूटों के साथ बेच रही हैं, जबकि पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटरों को वही उत्पाद ऊंचे दामों पर दिए जाते हैं। इस वजह से वे बाजार में मुकाबला नहीं कर पा रहे।
सुनील जैन ने बताया कि डिस्ट्रीब्यूटर वर्षों से कंपनियों के ब्रांड को घर-घर पहुंचाने का काम कर रहे हैं। आज वही कंपनियां हमें नजरअंदाज कर रही हैं और डिजिटल माध्यमों से सीधे ग्राहक तक सामान भेज रही हैं।”
घटता लाभ मार्जिन और बढ़ता दबाव
डिस्ट्रीब्यूटरों का लाभ मार्जिन पहले की तुलना में आधा हो गया है। जहां पहले 6 से 10% तक मार्जिन मिलता था, अब यह 3 से 4% पर आ गया है। वहीं कंपनियां सेल्स टारगेट का दबाव भी बढ़ा रही हैं। एसोसिएशन ने यह भी बताया कि कई कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटरों को पेमेंट नियमों में बदलाव, जबरन स्टॉक उठाने और कोड फ्रीज करने जैसी एकतरफा नीतियों से परेशान कर रही हैं।
टेक्नोलॉजी में पिछड़ते पारंपरिक व्यापारी
डिजिटल युग में जहां कंपनियां B2B ऐप्स और ऑटोमेटेड सिस्टम्स का इस्तेमाल कर रही हैं, वहीं छोटे और मझोले डिस्ट्रीब्यूटर संसाधनों के अभाव में पीछे छूट रहे हैं। जीएसटी, ई-वे बिल और टैक्स रिटर्न जैसी प्रक्रियाएं भी उनके लिए जटिल साबित हो रही हैं। कई वितरकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट में देरी और नोटिस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पदाधिकारियों और सदस्यों ने रखे विचार
सभा में उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश मेहता, सचिव सुनील जैन हरिओम, कोषाध्यक्ष अभिजीत सिंह ओबेरॉय, सह-सचिव मनीष अग्रवाल सहित कार्यकारिणी सदस्यों दीपक मुल्तानी, ललित अग्रवाल, चंद्र भाई, अमित बढ़कूल, दिलीप और संजय राठी ने विचार साझा किए। सभी ने सदस्यता विस्तार, इनफिल्ट्रेशन, ई-कॉमर्स के बढ़ते प्रभाव, और व्यापारियों के संरक्षण जैसे मुद्दों पर सुझाव और रणनीतियां प्रस्तुत कीं।
संरक्षक सदस्यों का सम्मान एवं नवागतों का स्वागत
सभा में एसोसिएशन के वरिष्ठ संरक्षक सदस्य श्री राजेंद्र राजदेव एवं श्री अर्जुन दास संगतानी का माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। इसके बाद उपस्थित सदस्यों को सदस्यता प्रमाणपत्र वितरित किए गए और नवीन सदस्यों का औपचारिक स्वागत किया गया।
भोपाल में करीब 1200 से अधिक डीलर और वितरक उपभोक्ता उत्पादों की सप्लाई चेन का हिस्सा हैं, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हज़ारों किराना दुकानों को उत्पाद पहुंचाते हैं। यह नेटवर्क आज संकट में है और संरक्षण की मांग कर रहा है।