भोपाल में महेश जयंती पर भव्य भजन संध्या का आयोजन: समाज भवन, एकता और डिजिटल रजिस्ट्रेशन पर हुआ मंथन

भोपाल-में-महेश-जयंती-पर-भव्य-भजन-संध्या-का-आयोजन:-समाज-भवन,-एकता-और-डिजिटल-रजिस्ट्रेशन-पर-हुआ-मंथन

भोपाल।
माहेश्वरी समाज की एकजुटता, संस्कार और संगठन की पहचान को पुनः सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भोपाल माहेश्वरी समाज ने महेश जयंती के अवसर पर भजन संध्या का भव्य आयोजन किया। यह आयोजन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह समाज के समक्ष मौजूद तमाम ज्वलंत विषयों पर संवाद और आत्मचिंतन का भी मंच बना।

कार्यक्रम की शुरुआत “किस विधु बंधन करूं तिहारो… जय महेश बलिहारी” जैसे भावपूर्ण भजनों से हुई, जिसने माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

इस अवसर पर टीएनसीपी के ज्वाइंट डायरेक्टर श्री महेश्वरी जी की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनका स्वागत समाज की ओर से दीपक पसारी माहेश्वरी ने किया।


संगठन की भावना और बिखराव से सावधानी पर बल

समाज को संबोधित करते हुए दीपक पसारी माहेश्वरी ने दो टूक कहा—

“बटोगे तो बिखरोगे” यही आज सनातन धर्म की चेतावनी है और हमें भी इस पर ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि माहेश्वरी समाज संख्यात्मक रूप से भले ही सीमित है, लेकिन उसकी बुद्धिमत्ता और व्यवहारिक नेतृत्व क्षमता को देशभर में सराहा जाता है। ऐसे में आपसी मतभेद, गुटबाजी और निजी राजनीति को रोकना आवश्यक है, वरना नई पीढ़ी समाज से दूरी बना लेगी।


महासभा में रजिस्ट्रेशन और डिजिटल जुड़ाव की अपील

उन्होंने बताया कि समाज के कई परिवार अभी भी ABMM (अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा) से डिजिटल रूप से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने अपील की कि हर परिवार ABMM ऐप डाउनलोड करके स्वयं को रजिस्टर करे ताकि महासभा द्वारा चलाई जा रही योजनाओं व ट्रस्ट के माध्यम से मिलने वाले अनुदान और सहायता का लाभ जरूरतमंदों तक पहुँच सके।

“यदि किसी को तकनीकी कठिनाई है तो समाज के युवा सहयोग करेंगे,” — दीपक पसारी


पर्यावरण के प्रति जागरूकता की मिसाल

विश्व पर्यावरण दिवस को ध्यान में रखते हुए उन्होंने समाजजनों से अपील की कि वे अपने पूर्वजों के नाम से कम से कम एक पौधा अवश्य लगाएं। उन्होंने इस दिशा में समाज के उपाध्यक्ष श्री अरुण चौधरी के प्रयासों की सराहना की, जो हर वर्ष भदभदा विश्राम घाट में वृक्षारोपण कर रहे हैं।


समाज भवन के निर्माण को लेकर की बड़ी घोषणा

दीपक पसारी माहेश्वरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब उन्होंने संस्था का दायित्व संभाला, तब यह ज्ञात हुआ कि समाज की जमीन का सीमांकन तक नहीं हुआ है। पूर्व अध्यक्ष द्वारा पड़ोसी को 10 फुट भूमि रास्ते के रूप में देने की वजह से भूखंड तक पहुंचने का मार्ग सीमित हो गया था।
अब समाज की भूमि के सामने की ज़मीन के मालिक से चर्चा कर रास्ता सुलझाया जा रहा है।

“मैं समाज को विश्वास दिलाता हूँ कि अगले दो वर्षों के भीतर समाज को उसका स्वयं का भवन सौंपा जाएगा,” — दीपक पसारी

उन्होंने यह भी कहा कि इस विषय पर विस्तृत चर्चा के लिए जल्द ही समाज की वार्षिक आमसभा (AGM) बुलाई जाएगी।


श्रृंखलाबद्ध समाज की अवधारणा

उन्होंने यह भी कहा कि आज प्रत्येक माहेश्वरी व्यक्ति किसी न किसी श्रृंखलाबद्ध समूह से जुड़ा हुआ है। यह समाज की ताकत है, लेकिन यही समूह यदि एक-दूसरे से संवादहीन हो जाएं, तो दुर्बलता में बदल सकते हैं। ऐसे में आवश्यकता है कि संगठन को एक सूत्र में पिरोया जाए।


समाज के भविष्य के लिए एकजुटता ही समाधान

इस आयोजन ने न केवल महेश वंदना के साथ धार्मिक आस्था को जागृत किया, बल्कि समाज के भीतर मौजूद प्रशासनिक, डिजिटल, वैचारिक और पर्यावरणीय मुद्दों को भी सामने लाकर उस पर समाज को विचार करने का अवसर दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित हर व्यक्ति ने यह महसूस किया कि समय की माँग है —
“समूह से ऊपर संगठन, राजनीति से ऊपर प्रगति और आपसी वैमनस्य से ऊपर समाजहित।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *